पटना : पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ का कहर जारी लाखो बेघर हो गए है. असम के 58 लाख से भी ज्यादा लोग बाढ़ में फंसे होने की खबर आ रही है. इधर नेपाल से लगातार पानी आने से उत्तर बिहार में बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है। बिहार में नदियों ने तबाही मचानी शुरू कर दी है। उत्तर बिहार के सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए।
नेपाल में हो रही भारी बारिश और उत्तर प्रदेश बिरपुर बांध से छोड़े गए पानी को बाढ़ का कारण बताया जा रहा है। पिछले हफ्ते के अंतिम दिन शाम को बांध के सभी 56 गेट खोल दिए गए हैं। इसकी वजह से चार लाख क्यूसेक पानी बिहार में आया। यही बाढ़ की सबसे बढ़ी वजह है, जिससे कोसी, गंडक और बागमती नदी में पानी का स्तर बढ़ गया।
बिहार में यह हर साल होता है। नदियां तबाही मचाती हैं। सैकड़ों लोगों की जानें जाती हैं और हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। लेकिन हालात जस के तस बने रहते हैं। बिहार में बाढ़ के लिए नेपाल को जिम्मेदार ठहराया जाता है। दरअसल, यहां की भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है जिसकी वजह से बारिश का पानी नदियों के जरिए नीचे आता है, जिससे तबाही मचती है।
बुधवार को असम में ब्रह्मपुत्र व उसकी सहायक नदियों जलस्तर का कम से कम 10 स्थानों पर खतरे की निशान से ऊपर रहा। असम के लखीमपुर जिले के एक राहत शिविर में महिला ने बताया कि वे लोग पिछले सात दिनों से केवल चावल खाकर जिंदा हैं। गंदा पानी पीना पड़ रहा है।
एनडीआरएफ के प्रवक्ता ने बताया कि बाढ़ प्रभावित विभिन्न राज्यों के 11 हजार से ज्यादा लोगों को बचाने में उनकी टीम कामयाब रही है। इनमें ज्यादातर लोग असम व बिहार के हैं। राहत व बचाव कार्य में 100 से ज्यादा टीमें तैनात की गई हैं।
असम व बिहार से आने वाले कांग्रेस सांसदों ने दोनों राज्यों में बाढ़ की निगरानी को लेकर लोकसभा में केंद्र सरकार को घेरा। कांग्रेस के गौरव गोगोई ने केंद्र से असम की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। मुहम्मद जावेद ने कहा कि केंद्र ने बिहार के बाढ़ प्रभावितों की कोई मदद नहीं की। लोग चूहा खाने को मजबूर हैं।