शहडोल। पूर्ववर्ती सरकार के दौरान हुए घोटाले एक के बाद एक सामने आ रहे हैं, बीते दिनों संभागायुक्त के समक्ष पुष्पराजगढ़ अंचल के दर्जनों ग्रामीण पहुंचे और उन्होंने किरगी स्थित लैम्पस प्रबंधक रामयश शर्मा के कारनामों का काला चिठा देते हुए कार्यवाही की मांग की, 10 बिन्दुओं के काले चिठे के साथ ग्रामीणों ने साक्ष्यों के रूप में दस्तावेज और पूर्व में की गई शिकायतें भी सौंपी, ग्रामीणों का आरोप था कि 2 दशक पहले पुष्पराजगढ़ मुख्यालय स्थित लैम्पस में कार्यरत रामयश शर्मा कच्चे मकान में रहते थे, शासन द्वारा उन्हें प्रतिमाह जितना वेतन दिया जाता था, अगर उसमें से रामयश ने एक धेला भी खर्च नहीं किया, तब भी पूरे वेतन से करीब 100 गुना की अधिक संपत्ति आज उसके पास है, इन दो दशको के दौरान रामयश खुद तो फर्श से अर्श पर पहुंच गये, लेकिन समिति का दिवाला निकल गया।
हड़प गये मनरेगा की मजदूरी
शिकायत पत्र में रामयश पर यह आरोप लगाये गये कि पूर्ववर्ती केन्द्र सरकार द्वारा जब रोजगार गारंटी योजना लागू की गई थी, जब मजदूरों के मनरेगा में लैम्पस में खाते खोले गये थे, इस दौरान लगभग लेन-देन सहकारी समिति से होता था, बाद में समितियों से लेन-देन बंद कर बड़े बैंको से लेन-देन होने लगा, लेकिन इस दौरान जो सैकड़ों मजदूरों की राशि मनरेगा के खातों में जमा थी, वह कहा गई, इसका आज तक पता नहीं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि रामयश शर्मा द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार कर सैकड़ों मजदूरों की मजदूरी जो लाखों में थी, उसका गबन कर लिया गया और मजदूरों को मजदूरी लैप्स हो जाने की बात कही गई।
लाखों में बिकी दुकाने, फिर भी कंगाल
शिकायत में यह भी आरोप लगाये गये कि जब रामयश द्वारा लैम्पस का प्रभार लिया गया था, तब लैम्पस की खुद की लाखों की संपत्ति थी, उसके बाद लैम्पस द्वारा यहां 22 दुकानों का निर्माण कराया गया, यह सभी दुकाने नीलाम कर किराये पर दी गई, 22 दुकानों को नीलाम करने के बाद आये लाखों रूपये कहां है और प्रतिमाह मिलने वाला किराया कहां है, इसका हिसाब कहीं नहीं है, लाखों रूपये अर्जित करने के बाद भी लैम्पस आज कंगाल है और रामयश लगातार मालामाल होते जा रहे हैं।
गुणात्मक रूप से बढ़ी संपत्ति
बीते एक दशक के दौरान तो रामयश की संपत्ति में तो गुणात्मक वृद्धि हुई है, इस दौरान अनूपपुर में आलीशान भवन के अलावा मल्टीशेल्यूसन के नाम पर बनाई गई फर्म में पंचायतों से लाखों का भुगतान आया, इस मामले की भी जांच में रामयश और उसके पुत्र दोषी पाये गये, लेकिन वसूली की फाईल आज भी जिला पंचायत में है, इधर के इन वर्षाे में शिव नामक टीव्हीएस शोरूम, शर्मा मेडिकल के नाम पर दवा दुकान और ट्रक, जीप, कार जैसे वाहनों का काफिला खड़ा हो गया। बकौल रामयश शर्मा, पूरी संपत्ति मेरे पुत्रों द्वारा मेहनत करके कमाई गई है और वे आईटीआर भी भरते हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि 2 दशक पहले रामयश और उसके पुत्रों के पास लैम्पस से मिलने वाले कुछ हजार के वेतन के साथ ऐसा कौन सा अलादिन का चिराग हाथ लग गया, जिससे वे करोड़पतियों की सूची में शुमार हो गये।