छत्तीसगढ़ में खुलेगा नारियल बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय: बृजमोहन

रायपुर,कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में नारियल की खेती की व्यापक संभावनाआंे को देखते हुए नारियल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही नारियल विकास बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय छत्तीसगढ़ में शुरू किया जाएगा। उन्होंने इस कार्यालय की स्थापना के राज्य शासन की ओर से भूमि तथा अन्य आवश्यक सहयोग देने का भरोसा दिया। श्री अग्रवाल आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में नारियल विकास बोर्ड, कोच्चि और छत्तीसगढ़ शासन के उद्यानिकी तथा प्रक्षेत्र वानिकी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित विश्व नारियल दिवस के राष्ट्रस्तरीय कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता रायपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री रमेश बैस ने की। कार्यक्रम में नारियल विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री राजू नारायण स्वामी, छत्तीसगढ़ शासन के अपर मुख्य सचिव कृषि श्री सुनिल कुजूर, राज्य योजना आयोग के सदस्य डॉ. डी.के. मारोठिया तथा इंदिरा गांधी कृृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर नारियल पर केन्द्रित प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया।
कृषि मंत्री श्री अग्रवाल ने केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह के संदेश का वाचन करते हुए कहा कि नारियल एक कल्प वृक्ष है जो मानव जाति के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। नारियल के वृक्ष का हर अंग उपयोगी है। देश में एक करोड़ से अधिक किसान नारियल की खेती पर आश्रित हैं और यह देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार है। नारियल हमारी सांस्कृतिक विरास और राष्ट्रीय एकता का महत्वपूर्ण अंग है। उन्होंने कहा कि एशिया प्रशांत नारियल समूदाय (ए.पी.सी.सी.) के स्थापना दिवस पर प्रति वर्ष 2 सितम्बर को विश्व नारियल दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि देश में बीस लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में नारियल की खेती होती है और लगभग 240 करोड़ नारियल का उत्पादन होता है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा नारियल उत्पादक देश है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के बस्तर, कोन्डागांव, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर, धमतरी और रायपुर जिलों में नारियल की खेती की जा रही है। बस्तर में नारियल की खेती की व्यापक संभावनाएं है। नारियल विकास बोर्ड द्वारा कोन्डागांव में नारियल विकास एवं अनुसंधान परियोजना संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि बस्तर में नारियल की खेती को

 

बढ़ावा दिया जाए तो यह नक्सलवाद को खत्म करने में मददगार साबित हो सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री रमेश बैस ने कहा कि नारियल के फल से लेकर छिलके तक हर अंग उपयोगी होता है। नारियल की गिरी, खोपरा, तेल, नारियल पानी, नारियल दूध, नीरा, खोल, बूच आदि सभी अंगों का उपयोग होता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। श्री बैस ने कहा कि बस्तर संभाग में नारियल और काजू की खेती की बहुत संभावनाएं है। यदि यहां के आदिवासी किसान भाईयों को नारियल और काजू की खेती के लिए प्रेरित किया जाए तो उनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हो सकता है। श्री बैस ने कार्यक्रम में उपस्थित किसानों से आव्हान किया कि की वे खेतों की मेड़ों पर बबूल के स्थान पर नारियल के पौधे लगाएं तो इससे खेतों सुंदरता बढ़ेगी और किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। कृषि उत्पादन आयुक्त श्री सुनिल कुजूर ने कहा कि नारियल के पौधों से फल प्राप्त करने में सात से आठ साल की अवधि लगती है लेकिन इसके बीच में मसाला एवं अन्य फसलों की इन्टरक्रॉपिंग की जा सकती है। नारियल विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री राजू नारायण स्वामी ने बोर्ड द्वारा संचालित योजनाओं एवं गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की योजना है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि विश्व नारियल दिवस का आयोजन छत्तीसगढ़ और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में लगभग 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को नारियल उत्पादन के उपयुक्त पाया गया है। अभी यहां केवल 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में ही नारियल की खेती की जा रही है। यहां प्रति पौधे से औसतन 90 नारियल के फल प्राप्त हो रहे हैं जो कि काफी उत्साहजनक है। उन्होंने कहा कि बस्तर संभाग में नारियल के कुछ ऐसे पौधे मिले हैं जिनपर 250 से 350 फल लग रहे हैं। इनपर अनुसंधान हो रहा है जिससे आशाजनक परिणाम मिलने की उम्मीद है। डॉ. पाटील ने कहा कि यदि छत्तीसगढ़ में नारियल उत्पादन की संभावनाओं को सही ढंग से क्रियान्वित किया जाए तो छत्तीसगढ़ देश के प्रमुख नारियल उत्पादक राज्यों में स्थान बना लेगा। योजना आयोग के सदस्य डॉ. डी.के. मारोठिया ने कहा कि नारियल एक अमृतदायी फल है जिसका कोई भी अंग व्यर्थ नहीं जाता। नारियल का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन कर बहुत से उत्पाद तैयार किये जा सकते हैं। कार्यक्रम में नारियल की खेती पर केन्द्रित अनेक प्रकाशनों को विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, गरियाबंद द्वारा विकसित घर-घर मशरूम किट का लाकार्पण भी किया गया। संचालक उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी श्री नरेन्द्र पाण्डेय द्वारा अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विभिन्न जिलों के नारियल उत्पादक किसान उपस्थित थे।