रायपुर, कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ में जैव प्रौद्योगिकी पार्क स्थापित करने के लिए आज उनके शंकर नगर स्थित निवास कार्यालय में त्रिपक्षीय समझौता किया गया। समझौता पत्र में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ जैव प्रौद्योगिकी प्रौन्नत सोसायटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डाॅ. गिरीश चंदेल, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से डायरेक्टर विस्तार सेवाएं श्री आर. के. वाजपेयी तथा केन्द्र सरकार के बायो टेक्नोलाॅजी विभाग के नोडल अफसर डाॅ. नितिन जैन ने हस्ताक्षर किए।
कृषि मंत्री श्री अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि जैव प्रौद्योगिकी पार्क स्थापित होने से छत्तीसगढ़ मे जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के कार्यों में गति आएगी। उन्होंने कहा कि यह पार्क इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में स्थापित हो रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में तकनीकी सहयोग मिलेगा। जैव प्रौद्योगिकी मानव जीवन से जुड़ा हुआ है। इसका महत्व कभी कम नहीं होगा। श्री अग्रवाल ने कहा कि बायोटेक्नोलाॅजी पार्क की स्थापना से छत्तीसगढ़ में जैव प्रौद्योगिकी के विकास की संभावनाओं के नये द्वार खुलेंगे। जैव प्रौद्योगिकी पार्क खुलने से इस क्षेत्र में निवेशक भी आगे आएंगे। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एस.के पाटील ने कहा कि बायो टेक्नालाॅजी पार्क स्थापित होने से बायो टेक्नालाॅजी के व्यावसायिक उपयोग के लिए व्यवस्था विकसित होगी। जो व्यक्ति इस क्षेत्र में उद्योग लगाना चाहते हैं, उन्हें पार्क स्थापित होने से फायदा मिलेगा। कृषि विभाग के सचिव श्री अनूप श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के कुछ गिने-चुने राज्यों में बायो टेक्नालाॅजी के क्षेत्र में अच्छी प्रगति हुई है। छत्तीसगढ़ में भी अब बायोटेक्नालाॅजी को बढ़ावा देने ठोस कार्य होंगे।
भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से जैव प्रौद्योगिकी पार्क विकसित किया जाएगा। कुल 44 करोड़ रूपये लागत की जैव प्रौद्योगिकी पार्क परियोजना के प्रथम चरण में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में 30 करोड़ रूपये की लागत से बायोटेक इन्क्यूबेशन सेन्टर स्थापित होगा। अधिकारियों ने इस अवसर पर बताया कि जैव प्रौद्योगिकी पार्क परियोजना के तहत जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने के साथ ही अनुसंधान कार्याें को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। जैव प्रौद्योगिकी आधारित नये उद्योगों की स्थापना से जहां रोजगार के अवसर सृजित होंगे वहीं कुशल मानव संसाधन विकास भी होगा। उन्होंने बताया कि इस पंचवर्षीय योजना का क्रियान्वयन दो चरणों में होगा। प्रथम चरण के अंतर्गत इंदिरा गंाधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में बायोटेक इन्क्यूबेशन सेन्टर की स्थापना की जा रही है। सेन्टर की स्थापना दो वर्ष की अवधि में पूर्ण कर ली जाएगी। उन्होंने बताया कि परियोजना की द्वितीय चरण में रायपुर जिले के आरंग तहसील के ग्राम मुनगी में 9.59 हेक्टेयर भूमि पर बिजनेस इन्टरप्राइज जोन की स्थापना की जाएगी। इसके लिए राज्य शासन द्वारा ग्राम मुनगी में भूमि आबंटित कर दी गई है। इस अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा छत्तीसगढ़ जैव प्रौद्योगिकी प्रौन्नत सोसायटी के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।