रायपुर ,ज्योतिष विज्ञान के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जीवन पर उसके कर्म के साथ राशि और उससे संबंधित ग्रहों का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष से हम भूत, वर्तमान और भविष्य की गणना आसानी से कर लेते हैं। जो कि व्यक्ति विशेष परेशानियों और दुखों को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ज्योतिष विज्ञान में ही रत्नों का भी महत्व बताया गया है तथा इसके साथ ही रत्नों का जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का भी वर्णन इसमें मिलता है। हर राशि का रत्न किसी न किसी ग्रह से संबंधित होता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर हो तो ज्योतिषाचार्य उससे संबंधित रत्न पहनने की सलाह देते हैं। क्योंकि संबंधित ग्रह का रत्न पहनने के बाद इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।
लेकिन यहां यह ध्यान रखने योग्य बात है कि किसी भी रत्न को पहनने से पहले इसके जानकार व्यक्ति से परामर्श के बाद ही इसे धारण करना चाहिए क्योंकि इसके उल्टे परिणाम आपके जीवन में उथल पुथल मचा सकते हैं। हम आपको यहां 9 प्रमुख रत्नों, उनसे संबंधित ग्रह और उनके प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं…
1. माणिक्य । स्वामी ग्रह : सूर्य। राशि : सिंह
लाभ : रत्न ज्योतिष के मुताबिक वैसे तो माणिक्य/रूबी रत्न को धारण करने के कई लाभ उल्लेखित हैं। माणिक्य धारण करने वाले व्यक्ति को प्रोफ़ेशनल क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। इसके प्रभाव से जातक समाज में अग्रणी भूमिका निभाता है और उसे ख्याति प्राप्त होती है। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार किसी जातक की कुंडली में यदि सूर्य उच्च स्थिति में हो और वह माणिक्य धारण कर ले तो उसे सरकारी अथवा निजी क्षेत्र में उच्च पद की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य के नज़रिए से भी माणिक्य के कई फ़ायदे हैं। इससे जातक के नेत्र संबंधी विकार एवं शारीरिक कमज़ोरी दूर होती है।
धारण विधि : माणिक्य को सोने की अंगूठी में जड़वाकर रविवार, सोमवार या गुरुवार के दिन पहनना चाहिए। पहनने से पूर्व माणिक्य को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। ध्यान रखें, यह आपकी त्वचा से अवश्य स्पर्श होना चाहिए। कम से कम माणिक्य रत्न 2 कैरेट का होना चाहिए। संभव हो तो आप 5 कैरट का रूबी भी धारण कर सकते हैं।
2. मोती । स्वामी ग्रह : चंद्रमा। राशि : कर्क
लाभ : रत्न ज्योतिष में बताया गया है कि मोती को धारण करने वाले जातकों का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। मोती पहनने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और एकाग्रता बनी रहती है। यह शरीर के कई रोगों को भी दूर करने में सहायक सिद्ध होता है। ज्योतिष विद्वानों का तर्क है कि मोती धारण करने वाले व्यक्ति को मूत्राशय एवं रक्त संबंधी रोग नहीं होते हैं।
धारण विधि : ज्योतिष में मोती धारण करने की विधि होती है और इसी के अनुसार हमें इस रत्न को पहनना चाहिए। मोती को चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए। इसे शुक्ल पक्ष में सोमवार के दिन धारण करना चाहिए। आप ज्योतिष परामर्श के अनुसार 3 कैरेट या रत्ती अथवा 5 कैरट का मोती धारण कर सकते हैं।
3. मूंगा । स्वामी ग्रह : मंगल। राशि : मेष व वृश्चिक
लाभ : मूंगा धारण करने वाले व्यक्ति का साहस कभी कमज़ोर नहीं होता है। इसके प्रभाव से वह ऊर्जावान रहता है और उस व्यक्ति का अपने लक्ष्य के प्रति जुनून ठंडा नहीं पड़ता है। इसलिए वह अपने कार्यों में सफल होता है। ज्योतिष के अनुसार जो व्यक्ति मूंगा धारण करता है उस पर मंगल ग्रह की अनुकंपा बनी रहती है। मूंगा से व्यक्ति को त्वचा, रक्त संबंधी रोग नहीं होते हैं। यह हमारे शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखता है।
धारण विधि : मूंगा को पूर्ण विधि के अनुसार धारण करना चाहिए। इसे सोने की अंगूठी में धारण करना शुभ होता है। मूंगा को किसी भी शुक्ल पक्ष को मंगलवार के दिन धारण किया जाता है। मूंगा जड़ित अंगूठी को अनामिका उंगली में पहनना चाहिए। ज्योतिष परामर्श के अनुसार आप 3 कैरट का मूंगा या फिर 5 कैरट का मूंगा धारण कर सकते हैं।
4. पन्ना । स्वामी ग्रह : बुध । राशि : मिथुन व कन्या
लाभ : पन्ना धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है। व्यक्ति का समाज में प्रभाव बढ़ता है। वहीं पन्ना धारण करने वाला व्यक्ति व्यापार में भी तरक्की करता है। बौद्धिक क्षेत्र में भी उसके ज्ञान का लोहा माना जाता है। यदि कोई गर्भवती महिला पन्ना धारण करती है तो उसकी डिलीवरी सुरक्षित होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार असली पन्ना बुध ग्रह से संबंधित शुभ फलों को पाने में कारगर भूमिका निभाता है। यदि आपका बुध ग्रह कमज़ोर है तो आप इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
धारण विधि : रत्न में पन्ना धारण करने की विधि बताई गई है और उसी के अनुसार हमें इसे पहनना चाहिए। पन्ना को स्वर्ण या चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहनना चाहिए। आप इस रत्न को गंगा जल से शुद्ध करके किसी भी शुक्ल पक्ष में बुधवार के दिन सूर्योदय के पश्चात धारण कर सकते हैं। ज्योतिषीय परामर्श के बाद आप 7 कैरेट का पन्ना, 5 कैरेट का पन्ना या फिर 2 कैरेट का पन्ना धारण कर सकते हैं।
5. पुखराज। स्वामी ग्रह : बृहस्पति ।
राशि : धनु व मीन
लाभ : यदि आपकी कुंडली में गुरु कमज़ोर हो तो आपको पुखराज रत्न धारण करना चाहिए। इससे आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। यह रत्न शिक्षा के क्षेत्र में अपार सफलता दिलाता है। यदि किसी जातक के वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी आ रही है अथवा संतान संबंधी कोई समस्या है तो पुखराज धारण करने से इस तरह की समस्याएँ दूर होती हैं। इस रत्न के प्रभाव से जातक को स्वास्थ्य एवं आर्थिक क्षेत्र में प्रबल लाभ मिलता है।
धारण विधि : पुखराज को सोने एवं चांदी की अंगूठी में जड्वाकर पहनना चाहिए। इसे शुक्ल पक्ष में गुरुवार को सूर्योदय के बाद पहनना चाहिए। पुखराज को ज्योतिषीय परामर्श के बाद पूर्ण विधि-विधान से धारण करना चाहिए। इसमें आप 2 कैरेट का पुखराज, 3 कैरेट का पुखराज, 5 कैरेट का पुखराज या फिर 7 कैरेट का पुखराज धारण कर सकते हैं।
6. हीरा। स्वामी ग्रह : शुक्र । राशि : वृषभ व तुला
लाभ : रत्न ज्योतिष में हीरे को भौतिक सुख-सुविधा, कला और प्रेम प्रदान करने वाला रत्न कहा जाता है। इसके प्रभाव से भौतिक संपन्नता, कलात्मक कार्यों में सफलता और विवाह व प्रेम संबंधों में मधुरता आती है। यदि आप फैशन इंडस्ट्री, कला, गायन और अन्य क्रिएटिव इंडस्ट्री से जुड़े है तो यह रत्न आपके लिए बेहद लाभकारी है। हीरा सेहत के लिए भी फ़ायदेमंद होता है। चिकित्सा की दृष्टि से यह यूरिनरी सिस्टम और प्रजनन क्षमता के लिए भी अच्छा माना जाता है।
धारण विधि : अच्छी क्वालिटी का हीरा शुक्रवार के दिन खरीदकर प्लेटीनम अथवा चाँदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए। इसके अलावा इसे सोने या पंचधातु की अंगूठी में भी पहना जा सकता है। हीरे को शुक्ल पक्ष में आने वाले शुक्रवार के दिन सुबह के समय पहनना चाहिए। हालांकि इससे पूर्व आप किसी ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें। इसमें आप 5 कैरेट अथवा 7 कैरेट डायमंड धारण कर सकते हैं। इसके अलावा अमेरिकन डायमंड भी इसका अच्छा विकल्प है।
7. नीलम। स्वामी ग्रह : शनि । राशि : मकर व कुंभ
लाभ : शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या में नीलम बड़ा ही असरदार और अचूक उपाय है। यदि किसी जातक की कुंडली में शनि उच्च हो और वह नीलम धारण कर ले तो उसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। नीलम के प्रभाव से जातक के जीवन से दरिद्रता दूर होती है और स्वास्थ्य जीवन पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे व्यक्ति दीर्घायु प्राप्त करता है और उसके भाग्य में भी वृद्धि होती है।
धारण विधि : नीलम रत्न को धारण करने के लिए किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लेना चाहिए। इस रत्न का चाँदी की अंगूठी में जड़वाकर शनिवार को सूर्यास्त के बाद मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए। रत्न धारण करने से पूर्व शनि ग्रह से संबंधित मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। आप अपनी अनुकूलता के हिसाब से 2 कैरेट नीलम, 3 कैरेट नीलम, 5 कैरेट का नीलम या फिर 7 कैरेट का नीलम धारण कर सकते हैं।
8 गोमेद। स्वामी ग्रह : राहु । राशि : वृष, मिथुन, कन्या, तुला या कुंभ
लाभ : यदि राहु जन्मकुंडली में केंद्र (1,4,7,9 वे भाव) में हो अथवा त्रिकोण भाव (पंचम भाव) में हो तो गोमेद धारण करना लाभदायक होता है। राजनीति में सफलता हासिल करने वालों के लिए गोमेद धारण करना लाभदायक होता है। यदि राहु द्वितीय, एकादश स्थान में स्थित हो तो गोमेद धारण करने से अचानक लाभ होता है। और अगर जन्मकुंडली में राहु छठे, आठवें और 12वें भाव में हो तो गोमेद सोच समझकर ही पहने।
धारण विधि : शनिवार के दिन अष्टधातु की अंगूठी में गोमेद जड़वाकर षोड़षोपचार पूजन करने के बाद नीचे लिखे मंत्र का सवा लाख जप करके शनिवार को शाम के समय अंगूठी में धारण करें।
“ॐ रां राहवे नम:”
9 लहसूनिया । स्वामी ग्रह : केतु
लाभ : जब भी बने बनाए काम में अड़चन पड़े, चोट, दुर्घटना का भय बने, उन्नति के सभी मार्ग बंद हों, तो समझें केतु के कारण परेशानी चल रही है। जन्मकुंडली के अंदर आपकी परेशानी का कारण केतु बने तो लहुसनिया धारण करना सहायक सिद्ध होता है। अगर कुंडली में केतु की स्थिति केंद्र/त्रिकोण में हो तो अर्थात केतु 1,2,4,7,10,5,9 भाव में हो लहुसनिया कुछ दिन धारण करके देखें। अगर हानिकारक हो तो उतार दें।
धारण विधि : इसे धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लेना चाहिए। शनिवार अथवा बृहस्पतिवार के दिन लहसूनिया खरीदकर चांदी की अंगूठी में जड़वाएं। इसके बाद षोड़षोपचार पूजन करके नीचे लिखे मंत्र का सवा लाख जप कराएं। इसको बृहस्पतिवार को बाएं हाथ की बुध की अंगुली में धारण करें।
“ॐ कें केतवे नम:”
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भविष्यवक्ता
(पं.) डॉ. विश्वरंजन मिश्र, रायपुर
एम.ए.(ज्योतिष),रमलाचार्य, बी.एड., पी.एच.डी.
मोबाईल :- 9806143000,
8103533330