भोपाल, मध्य प्रदेश सरकार 16 तरह के ड्राय फ्रूट्स को कृषि उपज में शामिल कर उस पर टैक्स लगाने जा रही है. इस मंडी टैक्स के लगते ही ड्राय फ्रूट महंगे हो जाएंगे. इंदौर में व्यापारियों ने इस टैक्स का जमकर विरोध किया है. व्यापारियों ने कृषि मंत्री सचिन यादव से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराया है. व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि यदि ये टैक्स लगाया गया तो वो राज्य में ड्राय फ्रूट का व्यवसाय नहीं करेंगे.
इन दिनों मध्य प्रदेश सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रही है. शायद इसीलिए केंद्र सरकार के बजट में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स के तत्काल बाद प्रदेश सरकार ने भी दोनों को 2-2 रुपए महंगा कर दिया था. प्रॉपर्टी का रजिस्ट्री शुल्क भी 3 फीसदी तक बढ़ा दिया. सूत्रों के मुताबिक अब अफसरों ने ड्रायफ्रूट पर मंडी टैक्स लगाकर खजाना भरने का आईडिया दिया है. इस आइडिए को अमल में लाते ही ड्रायफ्रूट के दाम उछल कर 20 से 80 रुपए किलो तक बढ़ जाएंगे, ये अंतर और ज्यादा भी हो सकता है.
किराना व्यापारी संघ के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल का कहना है कि राज्य सरकार ने 14 अगस्त 2019 को गजट नोटिफिकेशन जारी कर कृषि उपज मंडी शुल्क लगाने का फैसला कर दिया है, जबकि ड्राय फ्रूट्स मध्यप्रदेश की कृषि उपज ही नहीं है. 95 फीसदी ड्राय फ्रूट विदेशों से आयात किए जाते हैं, जिन पर 20 से 30 फीसदी कस्टम ड्यूटी और 5 से 12 फीसदी जीएसटी चुकाने पड़ते हैं. दोनों कर चुकाने के बाद मंडी शुल्क लेना अव्यवहारिक है.
व्यापारियों ने ये चेतावनी दी कि यदि सरकार ने ये टैक्स लगाया तो मध्यप्रदेश के व्यवसायी ड्राय फ्रूट का व्यवसाय नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि यदि ये टैक्स लगाया गया तो ये व्यवसाय दूसरे राज्यों मे शिफ्ट हो जाएगा. व्यापारियों से मिलने के बाद राज्य के कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि ड्राय फ्रूट एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने अपनी समस्या के बारे में बताया है. इसका परीक्षण कराकर यथासंभव समाधान का प्रयास किया जाएगा.