छोटे एवं मध्यम व्यापारियों के लिए जीएसटी का हो सरलीकरण –सिंहदेव

जीएसटी काउंसिल की बैठक में वाणिज्यिक कर मंत्री श्री सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ की मांगों को रखा पुरजोर तरीके से

रायपुर.छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव आज गोवा में जीएसटी राष्ट्रीय काउंसिल की 37वीं बैठक में शामिल हुए। उन्होंने बैठक में प्रदेश की मांगों को पुरजोर तरीके से काउंसिल के सामने रखा। बैठक में देश के सभी राज्यों के विभागीय मंत्रियों और विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया। वाणिज्यिक कर विभाग की सचिव एवं आयुक्त श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले भी जीएसटी काउंसिल की बैठक में शामिल हुईं।
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री सिंहदेव ने जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी लागू होने के बाद छत्तीसगढ़ को हो रहे राजस्व के नुकसान के संबंध में राज्य का पक्ष पुरजोर तरीके से रखा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने पर यह व्यवस्था की गई थी कि जिन राज्यों को जीएसटी से नुकसान होगा, उन राज्यों को केन्द्र सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति राशि इसके लागू होने के 5 वर्षों तक दी जाएगी। जीएसटी से छत्तीसगढ़ को बहुत अधिक राजस्व की हानि हो रही है। इसमें क्षतिपूर्ति केवल 2022 तक ही देने का प्रावधान है। वर्ष 2022 के बाद ऐसी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है जिससे राजस्व नुकसान की भरपाई की जा सके।
श्री सिंहदेव ने राज्य के राजस्व हित की रक्षा के लिए केन्द्र द्वारा दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि 2022 के बाद भी जारी रखने की मांग काउंसिल के सामने रखी। उन्होंने छत्तीसगढ़ को हो रहे राजस्व हानि की पूर्ति के लिए कोयला पर 400 रूपए प्रति टन की दर से लगाए जा रहे क्षतिपूर्ति सेस को कोयला उत्पादक राज्य को देने और सभी तरह के सेस को प्रथम बिन्दु पर ही लेने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों को लागू किए जाने पर जीएसटी के कारण प्रदेश को हो रहे नुकसान की भरपाई कुछ सीमा तक हो सकेगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018-19 में छत्तीसगढ़ में एस.ई.सी.एल. (SECL) द्वारा कोयला पर सेस के रूप में 5,700 करोड़ रूपए जमा किया गया था।
श्री सिंहदेव ने जीएसटी काउंसिल की बैठक के पहले कहा कि छोटे एवं मध्यम व्यापारियों के लिए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) का सरलीकरण होना चाहिए। लोगों को रोजगार देने और समाज को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन उन पर ही जीएसटी की सबसे भारी मार पड़ी है।
श्री सिंहदेव ने कहा कि अगर आंकड़ों पर ध्यान दें तो टैक्स देने वाले 95 प्रतिशत व्यापारियों द्वारा जीएसटी के माध्यम से जमा होने वाले कुल टैक्स का महज 3 प्रतिशत जमा किया जाता है। यदि इनके लिए टैक्स प्रक्रिया सरल की जाती है तो शासन को राजस्व हानि न के बराबर होगी। छोटे एवं मध्यम व्यापारी ही जीएसटी लागू होने के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। उन्होंने ऐसे व्यापारियों के लिए जीएसटी की प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए सुझाव रखने की बात कही जिससे उन पर पड़ने वाले भार को कम किया जा सके