प्रधानमंत्री आवास योजना में शहरी आबादी भूमि पर
काबिज परिवारों को भी मकान बनाने के लिए मिलेगी मदद
साग-सब्जी और फल-फूल उत्पादक किसानों के
लिए बनेगा छत्तीसगढ़ शाकम्भरी बोर्ड
इस वर्ष धान उपार्जन के लिए डाटा एण्ट्री ऑपरेटरों का नियोजन सहकारी समितियों द्वारा किया जाएगा: बाहरी एजेंसियों से नहीं ली जाएंगी सेवाएं
रायपुर, / मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज शाम यहां उनके निवास कार्यालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जो इस प्रकार हैं – आबादी भूमि (प्रचलित/सुरक्षित) में काबिज परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना (बीएलसी) में पात्रता रखने वाले हितग्राहियों को हितग्राही होने का प्रमाण पत्र तथा आवास निर्माण के लिए सहायता राशि दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 तक सबके लिए आवास मिशन के तहत वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारंभ हुआ था। छत्तीसगढ़ के सभी 168 शहरी निकायों में इस मिशन का क्रियान्वयन हो रहा है। कई हितग्राही ऐसे हैं, जो प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास प्राप्त करने की पात्रता रखते हैं और शासकीय/निकाय की भूमि पर काबिज हैं, लेकिन उनके पास स्वामित्व की वैधता का प्रमाण-पत्र नहीं है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 18 जुलाई 2018 को योजना की समीक्षा बैठक में इस कठिनाई पर विचार करते हुए प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए यह निर्देश दिए थे कि पट्टे के स्थान पर पात्र हितग्राहियों को पात्रता से संबंधित वैकल्पिक प्रमाण पत्र जारी किया जाए। उन्होेंने कहा था कि इस वैकल्पिक प्रमाण-पत्र के आधार पर हितग्राहियों को सहायता राशि जारी की जानी चाहिए। उनके निर्देश पर यह विषय आज मंत्रिरिषद की बैठक में लाया गया, जिसका अनुमोदन किया गया।
बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार साग-सब्जियों और फलों तथा फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए छत्तीसगढ़ शाकम्भरी बोर्ड का गठन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि राज्य में नदी-नालों के किनारे साग-सब्जी और फल-फूल उत्पादन का कार्य प्रमुखता से किया जा रहा है। लघु और सीमांत किसानों का एक बहुत बड़ा वर्ग जीवन-यापन के लिए इस व्यवसाय पर आश्रित है। राज्य के कुल 37 लाख 46 हजार किसान परिवारों में से लगभग 80 प्रतिशत किसान लघु और सीमांत श्रेणी के हैं। शाकम्भरी बोर्ड का गठन इन लघु और सीमांत किसानों की समस्याओं के निराकरण और उनके सर्वांगीण विकास, उनके लिए नई योजनाएं शुरू करने, वर्तमान व्यवस्था एवं संचालित योजनाओं में आवश्यकतानुसार आवश्यक सुधार करने उनकी उपजों के प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने तथा उनके समूह बनाकर सीधे बाजार व्यवस्था में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा। बोर्ड में अध्यक्ष तथा 05 अशासकीय सदस्य होंगे, जिनका नामांकन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा। बोर्ड में पदेन सदस्य के रूप में कृषि उत्पादन आयुक्त, जल संसाधन और ऊर्जा विभाग के सचिव द्वारा नामांकित प्रतिनिधि, वाणिज्यिक एवं उद्योग, कृषि और उद्यानिकी विभाग के संचालक, राज्य मण्डी बोर्ड के प्रबंध संचालक सदस्य होंगे। कृषि/उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक बोर्ड के सदस्य सचिव होंगे।
मंत्रिपरिषद ने आज की बैठक में यह भी निर्णय लिया कि खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में सहकारी समितियों धान उपार्जन के लिए डाटा एन्ट्री आपरेटरों का नियोजन बाह्य एंजेसियों के माध्यम से करने के निर्णय को एक साल के लिए स्थगित रखा जाए और उनका नियोजन समितियों द्वारा किया जाए। इस पर आने वाला व्यय भार छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) को प्रतिपूर्ति मद के अन्तर्गत राज्य शासन द्वारा दिया जाएगा। लगभग दो हजार डाटा एन्ट्री आपरेटरों को इसका लाभ मिलेगा।