मध्य प्रदेश: टॉइलट में खड़े दूल्हे की तस्वीर के बिना दुलहन को नहीं मिलेंगे ₹51 हजार

जमाल अय्यूब, भोपाल
प्री-वेडिंग फोटोशूट को लेकर किसी भी दूल्हा-दुलहन के मन में खूब उत्साह होता है लेकिन मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में एक ऐसी सेल्फी खिंचाने को लड़के मजबूर हैं जिसे वे शायद कभी याद न रखना चाहें। दरअसल, शौचालयों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए होने वाले दूल्हों को अपने घर में बने टॉइलट में खड़े होकर फोटो खिंचाना है वरना दुलहन को मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकास योजना के तहत 51 हजार रुपये की राशि नहीं मिल सकेगी।

बिना तस्वीर शादी नहीं
दरअसल, इस योजना के फॉर्म को तभी स्वीकार किया जाता है जब होने वाले दूल्हे के घर में टॉइलट हो। अधिकारी हर किसी के घर जाकर यह चेक करने की जगह टॉइलट में खड़े दूल्हे की डिमांड कर रहे हैं। यह सिर्फ ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, भोपाल महानगर पालिका (बीएमसी) तक में जारी है। भोपाल में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शादी करने जा रहे समीर (बदला हुआ नाम) बताते हैं, ‘एक ऐसे मैरिज सर्टिफिकेट के बारे में सोचिए जिसमें दूल्हा टॉइलट में खड़ा है। मुझे बताया गया कि जब तक मैं तस्वीर नहीं दूंगा, काजी नमाज नहीं पढ़ेंगे।’

बेहतर को प्रक्रिया
बीएमसी के योजना प्रभारी सीबी मिश्रा ने बताया है कि पहले शादी के 30 दिन के अंदर टॉइलट बनवाने की छूट थी जिसे अब खत्म कर दिया गया है। उनका कहना है कि टॉइलट में खड़े दूल्हे का फोटा लगाना कोई गलत बात नहीं है। यह शादी के कार्ड का हिस्सा तो नहीं है। वहीं, बीएमसी कॉर्पोरेटर और स्थानीय कांग्रेस नेता रफीक कुरैसी ने कहा है कि यह बात समझ में आती है कि टॉइलट स्वच्छ भारत मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं लेकिन इस प्रक्रिया को बेहतर किया जा सकता है।

आवेदन बढ़े तो निकाला यह तरीका
बता दें कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकास योजना आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए है। पिछले साल 18 दिसंबर को सत्ता में आने के एक दिन बाद कांग्रेस सरकार ने इस योजना के तहत आर्थिक राशि 28 हजार रुपये से बढ़ाकर 51 हजार रुपये कर दी थी। इसके बाद से आवेदनों का सिलसिला बढ़ गया और अधिकारियों के लिए घर-घर जाकर टॉइलट निरीक्षण करना मुश्किल हो गया।

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