प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग समुद्र किनारे स्थित इस प्राचीन नगर में सातवीं सदी के शोर मंदिर परिसर में शुक्रवार को बैठेंगे। वे कश्मीर मुद्दे पर भारत और चीन की कड़ी बयानबाजी से तनावपूर्ण हुए द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिश करेंगे। शी के शुक्रवार शाम करीब पांच बजे यहां पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। राज्य एवं केंद्र सरकार की एजेंसियां इस तटीय शहर में बैठक की पूरे जोर शोर से तैयारियां कर रही हैं। इस शहर का चीन के फुजियांग प्रांत से मजबूत ऐतिहासिक संबंध रहा है। चीनी राजदूत सुन वीदोंग ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि शुक्रवार से शुरू हो रही दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर वार्ता से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नयी दिशा देने पर दिशानिर्देशक सिद्धांतों समेत नयी आम-सहमति बन सकती हैं। अधिकारियों ने बताया कि शी अपराह्न करीब दो बजे चेन्नई पहुंचेंगे और इसके बाद एक आलीशान होटल में जाएंगे। मोदी शाम पांच बजे शी को मामल्लापुर के तीन स्मारकों अर्जुन की तपस्या स्थली, पांच रथ और शोर मंदिर लेकर जाएंगे। इसके बाद दोनों नेता मंदिर परिसर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम देखेंगे।
दोनों नेता शोर मंदिर परिसर में बैठेंगे और विकास एवं सहयोग का नया खाका बनाने पर विचार साझे करेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री मंदिर परिसर में शी के लिए निजी रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे। उन्होंने बताया कि दोनों नेता शनिवार को फिशरमैन्स कोव रिजार्ट में एक बैठक करेंगे, जिसके बाद प्रतिनिधि मंडल स्तर की वार्ता होगी। इसके बाद मोदी दोपहर के खाने पर शी की मेजबानी करेंगे और चीनी नेता दोपहर पौने एक बजे चेन्नई हवाईअड्डे के लिए रवाना होंगे। भारत-चीन शिखर वार्ता से पहले मामल्लापुरम के अति प्राचीन स्मारकों को सजाया-संवारा जा रहा है। पूर्वी तटीय सड़क से मामल्लापुरम में प्रवेश पर दोनों नेताओं के स्वागत के लिए एक भव्य तोरण द्वार बनाया गया है। शी जिस होटल में रुकेंगे, उसके सामने केले के पेड़ों और गन्नों से पारम्परिक तोरण द्वार बनाए गए हैं। अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए पूरे शहर को अभेद्य किले में तब्दील कर दिया गया है, जिसके कारण शहर में लोगों और पर्यटकों को असुविधा हुई। यह वार्ता ऐेसे समय में हो रही है जब कश्मीर मामले पर दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया है।
उल्लेखनीय है कि शी और इमरान खान की बीजिंग में हुई बैठक के बाद बुधवार को जारी संयुक्त बयान में कहा गया था कि चीन कश्मीर घाटी में हालात पर करीब से नजर रख रहा है। इसके बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में फिर से असहज स्थिति पैदा हो गयी थी। बयान में कहा गया कि कश्मीर का मुद्दा इतिहास से विवाद में चला आ रहा है और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार इसका उचित और शांतिपूर्ण समाधान निकाला जाना चाहिए। शी-खान की मुलाकात के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत का यह लगातार एवं स्पष्ट रुख रहा है कि जम्मू कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा है और चीन इस संबंध में नयी दिल्ली के रुख से भलीभांति अवगत है। सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा कि इस मामले पर बातचीत का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि यह भारत का संप्रभु मामला है लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि यदि शी कोई सवाल पूछते हैं तो मोदी उन्हें जानकारी देंगे। सूत्रों ने कहा कि दक्षिण भारत के इस प्राचीन तटीय शहर में यह शिखर वार्ता चीन के अमेरिका के साथ कारोबारी संबंधों में बढ़ती दरार की पृष्ठभूमि में होगी। दोनों नेता व्यापार और कारोबारी संबंधों के विस्तार के तरीकों पर बात कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार बातचीत में राजनीतिक संबंधों, व्यापार तथा करीब 3500 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा पर शांति बनाये रखने पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। मोदी और शी के बीच पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता चीन के वुहान में 2018 में हुई थी। वहीं, उसके कुछ महीने पहले ही डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध रहा था।
Source: Chhattisgarh Feed By RSS