उत्तर प्रदेश में फर्जी डिग्री हासिल करके टीचर की नौकरी कर रहे धोखेबाजों पर बड़ी कार्रवाई हुई है। कासगंज में की जांच में दोषी पाए गए 90 शिक्षकों को बर्खास्त करने के लिए आदेश दिए गए हैं। डीएम कासगंज ने इसकी पुष्टि की है। आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए भी आदेश जारी हुए हैं। बर्खास्तगी के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। डीएम का कहना है कि इनमें से अधिकांश के पास डॉक्टर की फर्जी डिग्री थी।
यह मामला साल 2017 से चल रहा है। तब शासन के आदेश पर गठित एसआइटी को जानकारी मिली थी कि 2004-05 और 2006 में डॉ बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी में पांच हजार बीएड की फर्जी मार्क्सशीट बनाई गई है। जानकारी के आधार पर एसआइटी ने जांच की और इसकी रिपोर्ट जनवरी 2018 में दी।
सिर्फ एक ने जमा किए असली कागजात
यह रिपोर्ट संबंधित जिलों में भेजी गई और इस दौरान बीएड करने वाले शिक्षकों की जांच के निर्देश दिए गए। निर्देश के आधार पर जिलेवार शिक्षकों से उनके दस्तावेजों का सत्यापन मांगा गया। जो शिक्षक दोषी नहीं थे, उन्होंने अपने सत्यापित कागजात दाखिल कर दिए। वहीं, आरोप में दोषी शिक्षक सत्यापन नहीं कर सके या फिर खामोश बैठ गए। इस बाबत संबधित बीएसए द्वारा फर्जीवाड़ा करने वाले शिक्षकों की सूची तैयार करके उनका वेतन रोक दिया गया। सूची के आधार पर आगरा समेत मथुरा और फिरोजाबाद के शिक्षक पहले ही बर्खास्त कर दिए गए थे।
कासगंज के जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया है कि 92 आरोपियों के खिलाफ एसआईटी जांच कर रही थी, इनमें से मात्र एक आरोपी ने अपने सही प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए। 90 आरोपियों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। इसी जांच के आधार पर सभी 90 फर्जी लोगों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। एक अन्य के विरुद्ध जांच अभी चल रही है। डीएम का कहना है कि इनमें से अधिकांश के पास डॉ अंबेडकर यूनिवर्सिटी के फर्जी प्रमाणपत्र थे, जिनके आधार पर इन्होंने नौकरी हासिल की थी। कई के पास अन्य विश्वविद्यालय के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए।
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