रईसपुर गांव को मॉडल बनाने में जुटे अरुण खुटेल और सुविंद्र किसान ने बताया कि गांव के युवकों के बनाए ऐप में कई खूबियां हैं। ऐप पर दिल्ली जाने की जानकारी मिलने पर उस रूट पर जाने वाला व्यक्ति कार पूल कर सकेगा। वहीं, यदि किसी को ब्लड की जरूरत होगी तो वह उस ऐप पर अपनी डिमांड डाल देगा। इसके बाद संबंधित व्यक्ति खुद ही ब्लड देने उसके पास पहुंच जाएगा। उन्होंने बताया कि लोगों में धारणा है कि गांव में शहरों की अपेक्षा कम सुविधाएं होती हैं, इसलिए शहरों में आबादी का दबाव बढ़ रहा है। हमने गांव सुविधा संपन्न बनाने और खेती को रोजगार से जोड़ने के प्रयास के लिए विश्व किसान एकता संघ का गठन किया है। इसके लिए हम जुलाई में हरिद्वार से राजघाट तक पैदल यात्रा कर चुके हैं। अब दिल्ली से कश्मीर और फिर कन्या कुमारी जाकर जागरूक करेंगे।
गांव में सीसीटीवी रखता है नजरकरीब 10 हजार की आबादी वाले रईसपुर गांव में मुख्य 4 एंट्री पॉइंट के साथ-साथ 8 स्थानों पर 14 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसमें एक सप्ताह की रिकॉर्डिंग सुरक्षित होगी।
ई-लाइब्रेरी पर चल रहा कामगांव में ई-लाइब्रेरी की भी व्यवस्था की जा रही है। इसमें कंप्यूटर के माध्यम से गांव के युवा अपनी पसंद की पुस्तक पढ़ सकेंगे। फिलहाल पोस्ट ग्रैजुएशन तक की किताबें मंगाई गई हैं।
भी लगेगी सुविंद्र ने बताया कि गांव में हर महीने पिंक चौपाल लगाई जाएगी। इसमें ग्रामीण महिलाएं किस प्रकार से तरक्की कर सकती हैं, उनके मार्गदर्शन के लिए एक सफल महिला को बुलाया जाएगा।
पलूशन कम करने को कार पूलिंग की भी पहल‘एफएसओ’ नाम के ऐप में राइड लिंक पर एक दिन पहले ही कोई भी व्यक्ति यह बताएगा कि वह दिल्ली या आसपास जा रहा है। इससे यदि किसी अन्य व्यक्ति को उसी रूट पर जाना होगा तो वह पूल कर सकेगा। इससे धन की बचत तो होगी ही साथ रोड पर ट्रैफिक और पलूशन घटेगा। इससे लोगों में भाईचारा भी बढ़ेगा।
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