हिन्दी को राष्ट्र्भाषा का दर्जा आज भी नहीं, किसी भी राष्ट्र की अस्मिता होती है भाषा: डॉ. उर्मीला शुक्ल
रायपुर। मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी सप्ताह-2018 का समापन समारोह आयोजित किया गया। हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित इस समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ महिला साहित्यकार डॉ. उर्मीला शुक्ल ने हिन्दी के महत्व से अवगत कराते हुए कहा कि हिन्दी को आज भी राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला है बावजूद इसके कि हिन्दी भाषा समर्थ है। हिन्दी में भी कैरियर की अपार संभावनाएँ हैं और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ हिन्दी का वर्चस्व नहीं है।
मैट्स विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि हिन्दी विभाग द्वारा 14 सितंबर तक हिन्दी सप्ताह का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों के लिये अनेक स्पर्धाओं का आयोजन किया गया। इन विद्यार्थियों को हिन्दी दिवस के अवसर पर अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर समारोह की मुख्य अतिथि वरिष्ठ महिला साहित्यकार एवं शासकीय छत्तीसगढ़ महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. उर्मीला शुक्ल ने छणिकाओं के साथ अपनी बात कही – “काल कोठरी की यातना, कार्यालयों में रही भटक, बैनर ने मुझे बताया आज है हिन्दी दिवस।” उन्होंने कहा कि वास्तव में देखा जाए तो आज भी हिन्दी को राष्ट्राभाषा का दर्जा नहीं मिला है, हालाँकि हिन्दी भाषा का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की कोशिश जरूर की गई लेकिन बाद में इसके लिये कोई प्रयास नहीं किया गया। अंग्रेजी हमारी दुश्मन नहीं है और कोई भी भाषा दुश्मन नहीं होती, हमें हिन्दी भाषा का सम्मान करना चाहिेए और जब तक हिन्दी भाषा में व्यवहार नहीं किया जाएगा तब तक वह समर्थ नहीं हो पायेगी।
कुलपति प्रो. कर्नल डॉ. बैजू जॉन ने कहा कि हिन्दी का अपना महत्व है और हिन्दी भाषा काफी सरल व मधुर भाषा है जो संचार की महत्वपूर्ण भाषा है। हमें अपनी दिनचर्या में भी हिन्दी भाषा का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे शुद्ध हिन्दी का प्रयोग करें और आने वाले समय में विद्यार्थियों के प्रयासों से ही हिन्दी को उचाइयों की ओर अग्रसर किया जा सकता है। समारोह में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुसदकर ने कहा कि हिन्दी का भविष्य बहुत उज्जवल है और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमें हिन्दी के विद्यार्थियों के लिये कैरियर की संभावनाएँ नहीं है, हमें हिन्दी भाषा का सम्मान करना चाहिए। इसके पूर्व हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने स्वागत भाषण में कहा कि राष्ट्रभाषाा का शाब्दिक अर्थ होता है समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त भाषा, अर्थात आमजन की भाषा, जो भाषा समस्त राष्ट्र में जन-जन के विचार-विनिमय का माध्यम हो, वह राष्ट्रभाषा कहलाती है। राष्ट्रभाषा देश के विभिन्न समुदायों के बीच भावनात्मक एकता स्थापित करती है तो आइये हम आपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी का सम्मान करें. प्रयोग करें और हिन्दुस्तान को एकता के सूत्र में बांधे, अपने देश को मजबूत करें।
इसके पूर्व समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं द्वीप प्रज्जवलन के साथ किया गया।
पुरस्कृत विद्यार्थी
इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों सहित सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहन पुरस्कार अतिथियों द्वारा प्रदान किया गया। इनमें चित्रकला प्रतियोगिता में टिकेश्वर चौधरी, रवि कुमार मांझी, भानुप्रताप (हिन्दी विभाग), एकंरिंग में यश मालु (आईटी विभाग), अलीशा (अंगेजी विभाग), संजीव क्रो (हिन्दी विभाग), कहानी लेखन में रवि कुमार मांझी, रंजीता शर्मा (हिन्दी विभाग), सुमन विश्वास (अंग्रेजी विभाग), लोक गीत प्रतियोगिता में निधि (एफडी विभाग), अलीशा (अंग्रेजी विभाग), देवलीना (अंग्रेजी विभाग), लोक नृत्य प्रतियोगिता में निकिता शुक्ला (अंग्रेजी विभाग), साक्षी सिन्हा, किरण (हिन्दी विभाग), यामिनी, खुशबू, मनीषा (आईटी विभाग), तात्कालिक भाषण में यश मालु (आईटी), प्रियंका सिंह (हिन्दी विभाग), निकिता शुक्ला (अंग्रेजी विभाग) ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया।