रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि रायपुर शहर अब स्मार्ट सिटी के रूप में पहचान बनाने की ओर अग्रसर होने लगा है। यहां नागरिकों को जरूरी सुविधाओं की सुगम उपलब्धता हो, इसके लिए आवश्यक संसाधनों के निर्माण और विकास कार्यों के लिए विशेष जोर दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल राजधानी रायपुर में आज ‘मोर रायपुर’ संबंधी आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगरपालिक निगम रायपुर के महापौर श्री प्रमोद दुबे ने की। कार्यशाला का आयोजन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्मेण्ट के तत्वावधान में किया गया था। कार्यशाला में शहरों के सुनियोजित विकास में आने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में शहरों के सुनियोजित विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा हर संभव पहल की जा रही है। शहरों के विकास के लिए उसका व्यवस्थित बसाहट पहली जरूरत है। आज पूरे देश के हर शहर में आबादी की अधिकता बड़ी समस्या हो गई है। इसके समाधान के लिए हमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना होगा और वहां रोजगार के अधिक से अधिक नये अवसर पैदा करने होंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ होने पर शहरों से आबादी गांव की ओर अग्रसर होंगे और वहां आबादी के दबाव में कमी ला पाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि शहरों के सुनियोजित विकास के लिए उसके व्यवस्थित बसाहट के साथ-साथ शहरों की नियमित साफ-सफाई, कचरे तथा गंदे पानी के उचित निपटारा के उपायों पर भी विशेष ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि आज के दौर में पर्यावरण प्रदूषण भी एक गंभीर चुनौती है। शहरों को सुंदर और स्वच्छ शहर के रूप में विकसित करने के लिए प्रदूषण की समस्या के निदान पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए वृक्षारोपण तथा प्राकृतिक जल स्रोतों, नदियों, तालाबों को स्वच्छ व पुनर्जीवित करने संबंधी कार्यों को अधिक से अधिक शामिल किया जाए। इससे पर्यावरण स्वच्छ होगा और निरन्तर घटते सतही तथा भू-गर्भ जल की रोकथाम हो सकेगी। श्री बघेल ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी की महत्वपूर्ण योजना संचालित की जा रही है। इसके तहत प्रदेश में वर्तमान में एक हजार 28 नालों को पुनर्जीवित करने का अहम कार्य किया जा रहा है। इसी तरह लगभग दो हजार गौठानों के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है। यहां गौठानों से निर्मित गोबर के दीये की चर्चा प्रदेश ही नहीं, अपितु देश के दूरदराज अंचल तथा राजधानी दिल्ली तक होने लगी और इसे व्यापक बाजार भी मिला। साथ ही गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा रहा है। वर्मी कम्पोस्ट से खेत-बाड़ी में जैविक खेती से उत्पादन को भी बढ़ावा मिल रहा है, जो पर्यावरण के साथ-साथ मानव जीवन के लिए बेहतर है। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन श्री सुनील नामदेव ने किया।