डे-नाइट टेस्ट: अंपायर्स के सामने भी होती हैं चुनौतियां

कोलकाताएलीट पैनल में एकमात्र भारतीय अंपायर को 2015 में ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड के बीच दिन रात के पहले टेस्ट में अपने सोने की आदतों में बदलाव करना पड़ा था। चार साल पहले ऐडिलेड में गुलाबी गेंद से पहले टेस्ट में अंपायरिंग करने वाले रवि ने काफी तैयारी की थी। इस दौरान वह देर से सोते और देर से उठते थे ताकि उनका शरीर बदले समय के अनुसार खुद को ढाल सके।

रवि ने दो महीने पहले दुबई में आईसीसी की कार्यशाला में भाग लिया और बाद में पर्थ में न्यू जीलैंड और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया एकादश के बीच दो दिवसीय अभ्यास मैच में अंपायरिंग की। रवि ने सूरत से समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा ,‘गुलाबी गेंद से टेस्ट में अंपायरिंग करना लगातार पांच वनडे में अंपायरिंग करने जैसा है। ऐसे में तैयारी भी उसी तरह की होनी चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘मैं देर से सोता था और देर से उठता था। मैच दस-साढे दस बजे तक चलता था और होटल में आकर सोने में काफी देर हो जाती थी। मैने देर से सोने की आदत डाली।’ उन्होंने कहा, ‘किसी भी टेस्ट से पहले नर्वसनेस होती है। मैं काफी उत्साहित था और माहौल का मजा ले रहा था। मैं भी नर्वस था लेकिन रोमांच भी उतना ही था।’

दूसरों की तरह उन्होंने भी स्वीकार किया कि ढलते सूरज की रोशनी में गुलाबी गेंद से खेलना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, ‘सूरज के ढलते समय गेंद को देखना मुश्किल होता है। उस समय गेंद को देखने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। हमें ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है।’

Source: Sports