अमेरिका के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से फोन पर बातचीत की और दो बंधकों अमेरिकी केविन किंग और ऑस्ट्रेलियाई तिमोथी वीक्स की रिहाई के लिए धन्यवाद दिया। तालिबान ने इन दोनों को 2016 से ही बंधक बनाया हुआ था। मंगलवार को, केविन किंग (63) और तिमोथी वीक्स (50) को अफगानिस्तान के दक्षिणी प्रांत जाबुल में अमेरिकी सुरक्षा बलों को सौंप दिया गया। इसके बदले में अफगान सरकार ने तीन बड़े तालिबानी कैदियों को रिहा किया।
रिहा किए गए हक्कानी नेटवर्क से जुड़े तालिबान के तीन सदस्य अनस हक्कानी, हाजी माली खान और हाफिज राशिद हैं। वाइट हाउस ने कहा कि गुरुवार को ट्रंप ने दो अलग-अलग कॉल किए। वाइट हाउस ने बातचीत का ब्योरा बताते हुए कहा कि खान के साथ फोन पर बातचीत में, ट्रंप ने दो बंधकों की रिहाई में पाकिस्तान के सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
जानकारी के मुताबिक, ‘ट्रंप को उम्मीद है कि यह सकारात्मक घटना अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में योगदान देगा।’ इसके मुताबिक, ‘दोनों नेताओं ने अमेरिका-पाकिस्तान व्यापार संबंधों को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया, जो इस साल एक नया रिकॉर्ड स्थापित करने के रास्ते पर है, इसके साथ ही निवेश और दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संबंधों पर भी बातचीत हुई।’
इस बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार, खान ने राष्ट्रपति ट्रंप को कश्मीर की मौजूदा स्थिति से भी अवगत कराया। बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से कश्मीर मामले पर निरंतर मध्यस्थता की पेशकश करने की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री खान ने जोर देकर कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपने प्रयासों को जारी रखना चाहिए।
गौरतलब है कि ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए बार-बार मध्यस्थता की पेशकश की है। हालांकि, भारत हमेशा यह कहता रहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मामला है जिसमें तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है। अफगान राष्ट्रपति गनी से फोन पर बातचीत में ट्रंप ने दो बंधकों को मुक्त करने में उनके सहयोग की सराहना की ट्रंप ने अपने देश की शांति प्रक्रिया में अफगान सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की।
वाइट हाउस ने कहा, ‘दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और एक राजनीतिक समझौते तक पहुंचने के लिए किसी वार्ता के लिए हिंसा में कमी बेहद जरूरी है।’
Source: International