बनारस हिंदू विश्वविद्याल (बीएचयू) में संस्कृत के प्रफेसर डॉ. की नियुक्ति के विरोध में 15 दिनों से चल रहा छात्रों का धरना शुक्रवार की शाम को खत्म हो गया। हालांकि, छात्रों ने आगे भी आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। छात्रों ने प्रशासन से नियुक्तियों पर नियमों को लेकर सवाल पूछा है। छात्रों का कहना है कि इन सवालों के जवाब मिलने के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
आंदोलनरत छात्रों ने कुलपति से ये सवाल पूछे हैं- इस नियुक्ति प्रक्रिया में विश्वविद्यालय ने यूजीसी के किस शार्ट लिस्टिंग प्रक्रिया को अपनाया है? विश्वविद्यालय संविधान के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया सम्पन्न हुई है? क्या बीएचयू ऐक्ट के 1904, 1096, 1915, 1955, 1966 और 1969 ऐक्ट को केंद्र में रखकर यह नियुक्ति की गई है? संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में क्या संकाय के अन्य सभी विभागों के अनुरूप ही शार्ट लिस्टिंग हुई है? क्या संकाय के सनातन धर्म के नियमों को ध्यान में रखकर शार्ट लिस्टिंग की गई है? बीएचयू प्रशासन ने आंदोलनरत छात्रों की ओर से पूछे गए इन सवालों का 10 दिन के अंदर लिखित जवाब देने का आश्वासन दिया है।
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गौरतलब है बीएचयू में छात्र 15 दिन से मुस्लिम प्रफेसर की नियुक्ति के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। छात्रों का कहना है कि किसी मुस्लिम प्रफेसर से हिंदू धर्म के कर्मकांड को सीखना महामना की मंशा को चोटिल करना है। बीएचयू प्रशासन की तरफ से बताया गया कि धर्म विज्ञान संकाय के सहित्य विभाग में फिरोज खान का सहायक प्रफेसर के रूप में चयन हुआ है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ किया था कि कर्मकांड नहीं, बल्कि संस्कृत साहित्य पढ़ाएंगे।
Source: National