संसद के ऊपरी सदन में मंगलवार को ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के संरक्षण संबंधी विधेयक को पास किया गया। विधेयक को सिलेक्ट कमिटी में भेजे जाने की सिफारिश खारिज होने के बाद इसे सदन में पारित किया गया। लोकसभा में यह विधेयक 5 अगस्त को पारित कर दिया गया था।
ट्रांजेंडर पर्सन्स (प्रॉटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल, 2019 के तहत तीसरे जेंडर के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए मैकेनिज्म उपलब्ध कराने की बात करता है। इस विधेयक में सामजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री ने 20 नवंबर को सदन में पेश किया था।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कैबिनेट ने 10 जुलाई को विधेयक को मंजूरी दी थी। सरकार का मानना है कि विधेयक से इस वर्ग के विरूद्ध भेदभाव और दुर्व्यवहार कम होने के साथ ही इन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लाभ पहुंचेगा। इससे समग्रता को बढ़ावा मिलेगा और ट्रांसजेंडर व्यक्ति समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर उसके उपयोगी सदस्य बन जाएंगे।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ट्रांसजेंडर एक ऐसा समुदाय है जो सर्वाधिक हाशिये पर है क्योंकि वे पुरूष या स्त्री के लिंग के सामान्य प्रवर्गो में फिट नहीं होते हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक बहिष्कार से लेकर भेदभाव, शिक्षा सुविधाओं की कमी, बेरोजगारी, चिकित्सा सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पीटीआई के इनपुट के साथ
Source: National