महाराष्‍ट्र में दोहराया गया कर्नाटक का 'नाटक'

मुंबई
के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को महाराष्ट्र में भी फजीहत का सामना करना पड़ा है। दोनों ही जगहों पर बीजेपी के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं था लेकिन पूर्व मुख्यमंत्रियों (बीएस येदियुरप्पा और देवेंद्र फडणवीस) में सत्ता हासिल करने की जल्दबाजी दिखी। महाराष्ट्र में फडणवीस की सरकार महज तीन दिन बाद ही गिर गई। वहीं, कर्नाटक में ने 17 मई 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 19 मई को फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।

शिवसेना-कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की ‘बैठकों’ के बीच शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ हाथ मिला लिया था। इसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने 23 नवंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी। मीडिया के सामने पूरा मामला आने के बाद सियासी खेमों के होश फाख्ता हो गए थे। आनन-फानन शरद पवार ने कहा कि यह अजित का निजी फैसला है और पार्टी इससे सहमत नहीं है। तीनों दलों की ओर इतना दबाव बनाया गया कि यह सरकार तीन दिन भी नहीं चल सकी।

‘…और बहुमत से दूर हो गई बीजेपी’
महाराष्ट्र में बीजेपी को 105 सीटें मिली हैं जबकि शिवसेना को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई है। दोनों के गठबंधन के साथ यह आंकड़ा पूर्ण बहुमत से ऊपर है। मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर शिवसेना ने बीजेपी से दोस्ती तोड़ दी और एनसीपी-कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया।

पढ़ें:

17 मई को शपथ और 19 को इस्तीफाअब बात की जाए कर्नाटक के घटनाक्रम की तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 222 सीटों में से 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में बीजेपी की ओर से शपथ ग्रहण की घोषणा भी कर दी गई। बीएस येदियुरप्‍पा को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया। फिर 16 मई 2018 को बीजेपी ने कहा कि 17 मई की सुबह मुख्‍यमंत्री के रूप में बीएस येदियुरप्‍पा शपथ लेंगे। इस ऐलान के बाद कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) शपथ ग्रहण को रोकने की अर्जी के साथ सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे। हालांकि, कोर्ट ने शपथ ग्रहण रोकने से इनकार कर दिया। फिर येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ले ली। 19 मई को फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले ही बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

पढ़ें:

Source: National