अमेरिका के एक संगठन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से भारत से लगने वाले को फिर से खोलने का आग्रह किया है। संगठन का कहना है कि इससे पाकिस्तान के मुस्लिम तीर्थयात्रियों को राजस्थान के अजमेर शरीफ और भारत के हिन्दू श्रद्धालुओं को बलूचिस्तान के हिंगलाज मंदिर की यात्रा में सुविधा होगी।
‘खोखरापार-मुनाबाओ सीमा खोलकर भी दिखाएं उदारता’
” के अध्यक्ष नदीम नुसरत ने पाक पीएम को एक चिट्ठी भेजी। इस चिट्ठी में उन्होंने सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलने पर इमरान खान को बधाई दी। 25 नवंबर को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया, ‘अब जब आपकी सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर खोलकर सराहनीय उदारता दिखाई है, जिससे सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तान में अपने पवित्र स्थान जाना आसान हो गया है। मैं लाखों मुस्लिम और हिन्दू श्रद्धालुओं की ओर से आपसे आग्रह करता हूं कि तुरंत प्रभाव से खोखरापार-मुनाबाओ सीमा को खोलकर उसी तरह की उदारता दिखाएं।’
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि किस तरह 1947 के विभाजन के बाद से दोनों देशों के लाखों मुस्लिम और हिंदू तीर्थयात्री दोनों पवित्र स्थानों पर जाने के लिए कठिनाई का सामना करते हैं। पत्र में लिखा गया, ‘करतारपुर कॉरिडोर को खोलने जैसी उदारता इस मामले में भी दिखाकर आप दोनों मुद्दों को चुटकियों में हल कर सकते हैं।’
चिट्ठी में तीर्थयात्रियों की दिक्कतों का भी जिक्र
सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह जिसे दरगाह अजमेर शरीफ भी कहा जाता है, राजस्थान के अजमेर शरीफ में स्थित है। यहां पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सीमा लगती है जहां लाखों मुस्लिम विभाजन के बाद बस गए थे।
पत्र में लिखा गया, ‘खोखरापार सीमा से अजमेर शरीफ की यात्रा महज कुछ घंटों की है लेकिन खोखपापार-मुनाबाओ बंद होने की वजह से तीर्थयात्रियों को पंजाब और दिल्ली होते हुए यहां आना पड़ता है जो कि इस यात्रा को 4 गुना ज्यादा लंबा बना देता है।’
चिट्ठी में यह भी बताया गया कि इस गैरजरूरी यात्रा की वजह से तीर्थयात्रियों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ से भी जूझना पड़ता है। ये यात्री गरीब या मध्यम तबके से आते हैं और संत मोईनुद्दीन चिश्ती के कई अनुयायी तो इस वजह से दरगाह शरीफ की यात्रा से वंचित भी रह जाते हैं। पाक पीएम को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया कि कुछ इसी तरह की दिक्कतें भारत के रहने वाले हिन्दुओं को भी हो रही हैं जो हिंगलाज मंदिर जाकर दर्शन तो करना चाहते हैं लेकिन इन कठिनाईयों की वजह से नहीं कर पा रहे।
Source: International