वो भारतीय, जो नहीं लौटना चाहते अपने घर!

अगरतला ()
त्रिपुरा के छह राहत शिविरों में रह रहे 289 परिवारों के 1,165 मिजोरम लौट गए हैं। यह सरकार द्वारा चलाए जा रही वापसी की प्रक्रिया का नौवां और आखिरी चरण था जो 30 नवंबर को पूरा हो गया। इस वापसी प्रक्रिया का मकसद 4,447 ब्रू परिवारों को मिजोरम वापस लौटाना था। बाकी के शरणार्थी जातीय संघर्ष के डर से वापस नहीं लौटना चाह रहे हैं।

ब्रू मिजोरम का सबसे बड़ा अल्‍पसंख्‍यक आदिवासी समूह है। करीब 33 हजार ब्रू पिछले 21 वर्षों से उत्‍तरी त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में रह रहे थे। 1990 के दशक में इनका बहुसंख्‍यक मिजो लोगों से स्‍वायत्‍त डिस्ट्रिक्‍ट काउंसिल के मुद्दे पर खूनी संघर्ष हुआ था। इसके बाद ही ये मिजोरम से पलायन कर गए थे। मिजो जनजाति ब्रू को ‘बाहरी’ कहती है। यह आदिवासी समूह अपना मूल म्‍यांमार के शान प्रांत में मानता है, ये लोग कुछ सदियों पहले वहां से मिजोरम में आकर बसे थे।

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इस साल के शुरू में किया था केंद्र ने ऐलानइस साल के शुरू में केंद्र ने ऐलान किया था कि वापसी की इस कोशिश के बाद त्रिपुरा में चल रहे राहत शिविरों को तत्‍काल बंद कर दिया जाएगा। इसके साथ ही यहां मिलने वाले मुफ्त राशन और नकद पैसे भी बंटना बंद हो जाएंगे। पुनर्वास पैकेज के रूप में सरकार ने वादा किया है कि मिजोरम वापस लौटे हर परिवार के बैंक अकाउंट में 4 लाख रुपये और 1.5 लाख रुपये हाउसिंग असिस्‍टेंस जमा किया जाएगा।

इसके बाद दो साल तक हर परिवार को मुफ्त राशन और हर महीने 5 हजार रुपये मुहैया कराए जाएंगे। फिलहाल, त्रिपुरा के सीएम बिप्‍लब कुमार देब ने केंद्र से बचे हुए ब्रू शरणार्थियों को अपने राज्‍य में रखने की अनुमति मांगी है।

Source: National