नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। शुक्रवार को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है। यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला पढ़ते हुए कहा, ‘धर्म के नाम पर पुरुषवादी सोच ठीक नहीं है। उम्र के आधार पर मंदिर में प्रवेश से रोकना धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है।’
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 4-1 के बहुमत से आया है। फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि भगवान अयप्पा के भक्त हिंदू हैं, ऐसे में एक अलग धार्मिक संप्रदाय न बनाएं। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुछेद 26 के तहत प्रवेश पर बैन सही नहीं है। संविधान पूजा में भेदभाव नहीं करता है। माना जा रहा है कि इस जजमेंट का व्यापक असर होगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सबरीमाला मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट सलाहकार राजू रामचंद्रन ने कहा था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बैन ठीक उसी तरह है, जैसे दलितों के साथ छुआछूत का मामला। कोर्ट सलाहकार ने कहा कि छुआछूत के खिलाफ जो अधिकार हैं, उसमें अपवित्रता भी शामिल हैं। अगर महिलाओं का प्रवेश इस आधार पर रोका जाता है कि वे मासिक धर्म के समय अपवित्र हैं तो यह भी दलितों के साथ छुआछूत की तरह है।