अमेरिकी स्पेस रिसर्च एजेंसी (नासा) ने चांद के साउथ पोल की तस्वीरें जारी की थीं। चेन्ने के इंजिनियर ने इन तस्वीरों पर जमकर मेहनत की और दुर्घटनाग्रस्त हुए के के मलबे का पता लगा लिया। शानमुगा ने को इसके लिए सूचित किया और कुछ समय में नासा ने इसे पुष्ट कर दिया। नासा ने शानमुगा के इस सहयोगा के लिए उन्हें शुक्रिया कहते हुए उनकी तारीफ की है।
शानमुगा सुब्रमण्यन उर्फ शान मकैनिकल इंजिनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं। फिलहाल वह चेन्नै में ही लेनॉक्स इंडिया टेक्नॉलजी सेंटर में टेक्निकल आर्किटेक्ट के तौर पर काम कर रहे हैं। 7 सितंबर 2019 को हुई विक्रर लैंडर की चांद पर हुई हार्ड लैंडिंग के इस पहलू की खोज करके शान ने बड़ा योगदान दिया है।
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शान मदुरै के रहने वाले हैं और इससे पहले कॉन्निजेंट जैसी कंपनियों में भी काम कर चुके हैं। विक्रम लैंडर के मलबे के बारे में पता लगाने के लिए शान ने नासा के लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर (एलआरओ) द्वारा ली गई तस्वीरों पर काम किया। ये तस्वीरें 17 सितंबर, 14, 15 अक्टूबर और 11 नवंबर को ली गई थीं।
नासा ने की शान की तारीफ, क्रेडिट भी दिया
शान ने अपनी इस खोज के बाद इस बारे में नासा को भी बताया। नासा ने कुछ समय में शान की खोज की पुष्टि भी कर दी। उनकी खोज की पुष्टि करते हुए नासा के डेप्युटी प्रॉजेक्ट साइंटिस्ट (एलआरओ मिशन) जॉन केलर ने शान को लिखा, ‘विक्रम लैंडर के मलबे की खोज के संबंध में आपके ईमेल के लिए शुक्रिया। एलआओसी टीम ने कंफर्म किया है कि बताई गई लोकेशन पर लैंडिंग से पहले और बाद में बदलाव दिख रहा है। इसी जानकारी का इस्तेमाल करते हुए एलआरओसी टीम ने उसी इलाके में और खोजबीन तो प्राइमरी इंपैक्ट वाली जगल के साथ मलबा भी मिला। नासा और एएसयू ने इस बारे में घोषणा के साथ-साथ आपको क्रेडिट भी दिया है।’
शान को उनकी मेहनत के लिए बधाई देते हुए जॉन केलर ने आगे लिखा है, ‘आपने इतनी मेहनत और समय लगाकर जो काम किया, उसके लिए बधाई। हम ज्यादा समय लेने के लिए माफी चाहते हैं क्योंकि हमें इसका ऐलान करने के लिए पूरी तरह से संतुष्ट होना था और यह भी सुनिश्चित करना था कि सभी भागीदार इसपर अपनी टिप्पणी दें।’
नासा ने तस्वीर के जरिए दर्शाया
दुनियाभर को इस खोज के बारे में जानकारी देते हुए नासा ने ट्वीट किया, ‘हमारे नासा मून मिशन के लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर को चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर मिला है।’ इसके साथ ही नासा ने इंपैक्ट साइट की एक तस्वीर भी जारी की है, जिसमें लैंडर विक्रम के मलबे और लैंडिंग की जगह को दर्शाया गया है।
नासा के बयान में कहा गया है कि तस्वीर में दिखने वाले हरे बिंदु स्पेसक्राफ्ट के मलबे को दिखाते हैं और नीले बिंदु लैंडिंग के बाद जमीन पर हुए बदलाव को दिखाते हैं। तस्वीर में ‘S’ नाम से जिस बिंदु को दिखाया गया है, शान ने उसी के बारे में नासा को बताया था। शान द्वारा बताई गई मलबे की जगह लैंडर की क्रैश साइट से उत्तर-पश्चिम की ओर 750 मीटर की दूरी पर है।
लैंडर विक्रम की तलाश में जुटे थे नासा और इसरो
बता दें कि 7 सितंबर को लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद से ही इसरो और नासा इसकी तलाश में जुटी हुई थीं। नासा ने लैंडर विक्रम तक सिग्नल भेजने के लिए कैलिफर्निया, मैड्रिड और कैनबरा में स्थित अपने डीप स्पेस नेटवर्क ऐंटीना का भी इस्तेमाल किया लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं मिला। आखिर में नासा ने एलआरओ का इस्तेमाल करके चांद के साउथ पोल की तस्वीरें निकालीं। इसरो भी चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का लगातार इस्तेमाल कर रहा है, जिससे लैंडर विक्रम का पता लगाया जा सके।
Source: National