कैबिनेट में कल पास होगा सिटिजन अमेंडमेंट बिल?

नई दिल्ली
मोदी सरकार पूरे देश में एनआरसी लागू करने की दिशा में अब निर्णायक रूप से बढ़ेगी। बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सरकार इसे गुरुवार को लोकसभा में पेश कर सकती है। इसके बाद सरकार अगले हफ्ते राज्यसभा में इसे पेश करेगी जहां उसे असली चुनौती मिलने के संकेत हैं। संसद का मौजूदा सत्र 13 दिसंबर तक है। नागरिकता कानून के बाद सरकार एनआरसी को पूरे देश में लागू करने पर फैसला लिया जा सकता है। हालांकि इसमें सरकार के सामने कई चुनौतियां भी हैं।

उत्तर-पूर्व राज्यों को मिल सकता है अलग से अधिकार
सूत्रों के अनुसार सरकार ने पुराने नागरिकता संशोधन कानून में बड़े बदलाव किए हैं। खासकर उत्तर-पूर्व राज्यों को इसमें बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। इसमें उन इलाकों के लिए खास प्रावधान किया जा रहा है ताकि वहां हो रहे विरोध के बीच आशंकाओं का हल निकले। इसके तहत संशाेधित बिल में उन्हें खास अधिकार दिया जा सकता है। मालूम हो कि नागरिकता संशोधन कानून के प्रावधान के अनुसार बांग्लादेश,पाकिस्तान के अल्पसंख्यक नागरिकों को भी आसानी से नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। साथ ही इसमें अवैध रूप से घुसने वालों को नागरिकता देने पर विचार करने के लिए आधार वर्ष 1971 से बढ़ाकर 2014 करने का प्रस्ताव है। मूल विरोध इसी बात को लेकर है। उत्तर-पूर्व के लोग इसके लिए बेस साल 1971 से आगे बढ़ाने को कतई तैयार नहीं है। दरअसल नागरिकता संशोधन कानून मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना रही है और परंतु उत्तर-पूर्व राज्यों में हो रहे तीव्र विरोध के कारण अब तक न कदम पूरी तरह खींच सकती है न ही इसे आक्रामक तरीके से अमल कर रही थी। असम,मेघालय सहित सभी राज्यों ने इसपर आपत्ति जतायी थी।

कानून पास होने के बाद एनआसी पर होगा आरपार
अगर बीजेपी उत्तर-पूर्व राज्यों की आशंकाओं को दूर करने में कामयाब रही तो पार्टी के लिए एनआरसी पर आगे बढ़ना आसान हो जाएगा। साथ ही असम के मामले में डिफेंसिव मोड में रहने वाली बीजेपी और आक्रामक हो सकती है। होम मिनिस्टर अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि असम में हुए एनआरसी की दोबारा समीक्षा पूरे देश में होने वाली प्रक्रिया के साथ की जाएगी। असम में एनआरसी की अंतिम लिस्ट आने के बाद बड़ा विवाद हो रहा है और खुद वहां की बीजेपी सरकार इसे खारिज कर रही है।

राज्यसभा और अदालत में मिल सकती है सकती चुनौती
सरकार को पता है कि नए नागरिकता कानून को राज्यसभा और कोर्ट में चुनौती मिल सकती है। सरकारी सूत्रों के अनुसार नए नागरिकता कानून के खिलाफ कानूनी जंग भी हो सकती है। पहले भी इसके खिलाफ कुछ याचिका डाली जा चुकी है कि संविधान में साफ प्रावधान है कि सरकार कोई ऐसा फैसला नहीं लेगी जिसमें किसी धर्म को इससे अलग किया जाए। इस बारे में सरकार का तर्क है कि इसमें धर्म का कोई जिक्र ही नहीं हैं। जो भी पाकिस्तान,बांग्लादेश में अल्पसंख्यक होंगे,उन्हें इसका लाभ मिलेगा। लेकिन असली चुनौती राज्यों से मिलेगी। आधे से अधिक राज्यों में अब बीजेपी की सरकार नहीं है। वहां विपक्ष इसका विरोध कर रही है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने साफ कह दिया है कि वह इसे अपने राज्य में लागू नहीं होने देगी। इसके अलाव बिहार जैसे सहयोगी दलों के साथ शासन करने वाले राज्य हैं जहां नीतीश कुमार शुरू से एनआरसी कानून का का विरोध कर रहे हैं। इन्हीं चिंताओं के बीच राज्यसभा में भी बहुमत जुटाना आसान नहीं होगा।

Source: National