डायरेक्टर नीरज पाठक ने कहा कि वशिष्ठ नारायण सिंह के बारे में जब मैंने पढ़ा तो उनसे मिलने गया। जब उनसे पहली बार मिला तब उन्होंने सबसे पहले मुझे पुछा ‘बउआ कुछ खाएगा?’ उस समय वह सेंस में नहीं थे। इसके बाद जब उनके घर गया, तब देखा कि उनकी घर में नेम प्लेट नहीं बल्कि उनके घर की दीवारों पर गणित के फार्मूले लिखे हुए थे। यह देखकर मुझे पता चला की ये वशिष्ठ नारायण का घर है। इसके बाद मुझे ऐसा लगा कि वशिष्ठ नारायण सिंह की अद्भुत कहानी दुनिया के सामने कहनी चाहिए।
नीरज पाठक ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख हैं कि यह फिल्म वह उनके जीते जी शुरू नहीं कर पाए। अब यह फिल्म उनके लिए एक श्रद्धांजलि के तौर पर हो सकती है। उनका जीवन बेहद उतार चढ़ाव भरा रहा और हर कोई उनकी जिंदगी की कहानी जानना चाहता है। हमने इस बारे में उनके परिवार से पूरी बात कर ली है। जल्द ही फिल्म की स्टार कास्ट का ऐलान किया जाएगा और जल्द ही फिल्म शुरू हो जाएगी।
बता दें कि हाल ही में वशिष्ठ नारायण सिंह का लंबी बीमारी के बाद 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वशिष्ठ नारायण सिंह अपने गणितीय सूत्रों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ही पहली बार आइंस्टीन की ‘थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी’ को चुनौती दी थी। वशिष्ठ नारायण को किताबें पढ़ने का बेहद शौक था और वह अपना अधिकतम समय पढ़ने में गुजारते थे।
Source: Entertainment