नई दिल्ली :कर्ज के बोझ तले दबी और गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया का सरकार उधार नहीं चुका रही है।VVIP चार्टर फ्लाइट्स के किराये के रूप में सरकार को 1146.86 करोड़ रुपया चुकाना है। हैरानी की बात यह है कि कई बिल एक दशक से पेंडिंग है। एक साल में इसमें तीन गुना इजाफा हो चुका है। कंपनी ने RTI आवेदन के जवाब में चौंकाने वाली जानकारियां दी हैं।
सेवानिवृत्त कमांडर लोकेश बत्रा के आवदेन पर एयर इंडिया ने बताया कि रक्षा मंत्रालय पर 211.17 करोड़, कैबिनेट सचिवालय और PMO पर 543.18 करोड़ और विदेश मंत्रालय पर 392.33 करोड़ रुपये उधार है।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति की यात्रा और बचाव कार्यों में लगाए गए फ्लाइट्स के कई बिल तो 10 साल पुराने हैं। मार्च में एयर इंडिया ने बताया था कि 31 जनवरी तक 325 करोड़ रुपये बकाया थे, जोकि अब 1146.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे VVIPs के लिए एयर इंडिया चार्टर्ड एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराता है। इसके लिए जरूरत के मुताबिक कमर्शल जेट्स को सुइट में बदला जाता है।
इन विमानों का किराया रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, PMO और कैबिनेट सचिवालय के कोष से चुकाया जाता है। पेंडिंग बिल्स का मुद्दा 2016 में CAG ने भी उठाया था।
गौरतलब है कि सरकारी विमानन कंपनी करीब 50 हजार करोड़ रुपये के कर्ज तले दबी है। सरकार इसे बेचने का भी प्रयास कर चुकी है, लेकिन असफल रही।