हैदराबाद: परिवार के लिए तो वह 'बेटा' थीं!

हैदराबाद
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में सरकारी वेटनरी डॉक्‍टर रहीं ‘द‍िशा’ अपने परिवार की लाडली बेटी ही नहीं ‘बेटा’ भी थीं। काम खत्‍म करने के बाद जब वह घर पहुंचती थीं तो शाम को अपनी मां के साथ किचन में लग जाती थीं और एक फ्रेंड की तरह मिलकर खाना बनाती थीं। यह क्षण मां और बेटी के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण और अनमोल होते थे। वारदात के दिन शाम को डॉक्‍टर दिशा अपने ऑफिस से जल्‍दी निकल गईं ताकि वह गाचीबोवली में स्किन डॉक्‍टर को दिखा सकें। आमतौर पर वह सुबह 7.15 बजे सुबह घर से निकलती थीं और शाम 7.30 बजे घर पहुंचती थीं। इसके बाद वह मां के साथ खाना बनाती थीं।

डॉक्‍टर दिशा की एक पड़ोसी ने बताया कि मौत के कुछ दिन पहले डॉक्‍टर दिशा बहुत व्‍यस्‍त हो गई थीं। उन्‍होंने कहा, ‘डॉक्‍टर दिशा अकसर काम को अपने घर लाती थीं। उनकी मां चिंतित थीं कि बेटी अपना ध्‍यान नहीं रख रही है।’ वेटनरी डॉक्‍टर द‍िशा के पिता सेना से रिटायर हो गए थे और इसके बाद से बेहद स्‍मार्ट और आत्‍मविश्‍वास से लबरेज दिशा ने अपने घर की पूरी जिम्‍मेदारी संभाल ली थी।

‘डॉक्‍टर दिशा एक बेटे की तरह से थीं’
हैदराबाद की इस बेटी के दोस्‍तों ने बताया कि डॉक्‍टर दिशा ‘एक बेटे की तरह से थीं।’ डॉक्‍टर द‍िशा को जानने वाले लोगों ने बताया कि बेहद विनम्र और ‘हरेक की प्रिय थीं।’ डॉक्‍टर दिशा के परिवार की एक सदस्‍य ने कहा, ‘हमारे पूरे परिवार में डॉक्‍टर द‍िशा सबसे ज्‍यादा विनम्र स्‍वभाव के लोगों में शामिल थीं।’ उन्‍होंने कहा, ‘डॉक्‍टर द‍िशा अपनी छोटी बहन के बेहद करीब थीं। यह विश्‍वास करना बेहद मुश्किल हो रहा है कि वह अब हमारे बीच नहीं रहीं और अब हम उनसे पारिवारिक कार्यक्रमों के दौरान नहीं मिल पाएंगे।’

डॉक्‍टर दिशा की एक फ्रेंड ने बताया कि सेना से र‍िटायरमेंट लेने के बाद उनके पिता 250 किमी दूर एक स्‍कूल में पढ़ाते हैं। उन्‍होंने कहा, ‘वह केवल सप्‍ताहांत में घर आते थे और सोमवार को लौट जाते थे। डॉक्‍टर द‍िशा अपने घर के लिए सबकुछ करती थीं चाहे वह सामान लाना हो या बिल पेमेंट करना।’ उन्‍होंने बताया कि डॉक्‍टर द‍िशा ने परिवार के वित्‍तीय संकट को देखा था और वह जॉब तथा आमदनी के महत्‍व को समझती थीं। कॉलेज में वह दूसरों के नोट्स को फोटोकॉपी कराने की बजाय अपने नोट्स खुद बनाती थीं ताकि उनका पैसा बच जाए।

Source: National