रायपुर,जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रवक्ता व मीडिया समन्वयक संजीव अग्रवाल ने बताया कि, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला, सूरजपुर, छत्तीसगढ़ के द्वारा 10 सितंबर 2018 को एक आदेश पारित किया गया था जिसमें ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक महिला/पुरुष एवं स्वास्थ्य पर्यवेक्षक महिला/पुरुष, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) अधिनियम 1965 के नियम 6 के उल्लंघन के फलस्वरूप तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। सूरजपुर की तरह संपूर्ण प्रदेश में लगभग दो हजार कर्मचारियों पर यह तानाशाही भरा बर्ताव कर बर्ख़ास्तगी की गई है।संजीव अग्रवाल ने बताया कि ये लोग 1 अगस्त 2018 से स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ के आवाह्न पर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए थे लेकिन छत्तीसगढ़ की रमन सरकार की दमन नीति के तहत इन लोगों को तानाशाही रवैया के तहत बर्खास्त कर दिया गया। यह खीज भारतीय जनता पार्टी की हार की ओर इशारा करती है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की रमन सरकार चला चली की बेला में चुनाव से पूर्व ही अपने आप को हारा हुआ महसूस कर रही है और उसी का बदला प्रदेश की जनता और प्रदेश के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों से ले रही है।
संजीव अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ की भाजपा की रमन सरकार से पूछा है कि क्या अपनी मांगों के लिए आवाज़ उठाना या आंदोलन करना गैर कानूनी या नाजायज़ है? यह भाजपा सरकार की नीति है कि जो उनके खिलाफ आवाज़ उठाएगा उसका इसी प्रकार से दोहन और शोषण किया जाएगा। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ऐसे तानाशाही फरमान और रवैया का कड़े शब्दों में निंदा और विरोध करती है और आश्वासन देती है कि जैसे ही जनता कांग्रेस और बसपा गठबंधन की सरकार छत्तीसगढ़ प्रदेश में आने वाले 2 महीने बाद बनेगी तब छत्तीसगढ़ के अगले मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी के आदेशानुसार तत्काल प्रभाव से इन कर्मचारियों को वापस उनके कार्य पर बहाल किया जाएगा।