कुंडली में विवाह योग के बाधक ग्रह

रायपुर ,विवाह यानि गृहस्थ जीवन की एक नई शुरुआत। विवाहोपरांत व्यक्ति सिर्फ व्यक्ति न रहकर परिवार हो जाता है एवं सामाजिक रुप से जिम्मेदार भी। समाज में उसकी प्रतिष्ठा भी बढ़ जाती है। यह जीवन का एक ऐसा मोड़ होता है जिसके अभाव में व्यक्ति अधूरा रहता है। लेकिन विवाह हर व्यक्ति की किस्मत में नहीं होता। अलग-अलग समाजों में विवाह को लेकर अलग-अलग तरह की प्रथाएं और रिवाज हैं। भारतीय समाज में पारंपरिक विवाह बड़े पैमाने पर होते हैं लेकिन वर्तमान समय में प्रेम विवाह का चलन भी बढ़ा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जातक की कुंडली में मौजूद ग्रहों की दशा से व्यक्ति के विवाह को लेकर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। सिर्फ पूर्वानुमान ही नहीं बल्कि यह भी कि व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सफल रहेगा या नहीं यह भी। तो आइये जानते हैं कि ऐसे कौनसे ग्रह हैं जो किसी जातक की कुंडली विवाह के योग को दर्शाते हैं।

कुंडली में विवाह योग के कारक ग्रह

कुंडली में विवाह योग के कारक ग्रहों के बारे में डॉ. विश्वरँजन मिश्र का कहना है कि जब बृहस्पति पंचम पर दृष्टि डालता है तो यह जातक की कुंडली में विवाह का एक प्रबल योग बनाता है। बृहस्पति का भाग्य स्थान या फिर लग्न में बैठना और महादशा में बृहस्पति होना भी विवाह का कारक है। यदि वर्ष कुंडली में बृहस्पति पंचमेश होकर एकादश स्थान में बैठता है तब उस साल जातक का विवाह होने की बहुत ज्यादा संभावनाएं बनती हैं। विवाह के कारक ग्रहों में बृहस्पति के साथ शुक्र, चंद्रमा एवं बुद्ध भी योगकारी माने जाते हैं। जब इन ग्रहों की दृष्टि भी पंचम पर पड़ रही हो तो वह समय भी विवाह की परिस्थितियां बनाता है। इतना ही नहीं यदि पंचमेश या सप्तमेश का एक साथ दशाओं में चलना भी विवाह के लिये सहायक होता है।

विवाह योग के लिये जो कारक मुख्य है वे इस प्रकार हैं-

★सप्तम भाव का स्वामी खराब है या सही है वह अपने भाव में बैठ कर या किसी अन्य स्थान पर बैठ कर अपने भाव को देख रहा है।
★सप्तम भाव पर किसी अन्य पाप ग्रह की द्रिष्टि नही है।
★कोई पाप ग्रह सप्तम में बैठा नही है।
★यदि सप्तम भाव में सम राशि है।
★सप्तमेश और शुक्र सम राशि में है।
★सप्तमेश बली है।
★सप्तम में कोई ग्रह नही है।
★किसी पाप ग्रह की दृष्टि सप्तम भाव और सप्तमेश पर नही है।
★दूसरे,सातवें, बारहवें भाव के स्वामी केन्द्र या त्रिकोण में हैं,और गुरु से दृष्ट है।
★सप्तमेश की स्थिति के आगे के भाव में या सातवें भाव में कोई क्रूर ग्रह नही है।

कुंडली में विवाह योग के बाधक ग्रह

बृहस्पति की दृष्टि पंचम पर पड़ने से उस समय विवाह के योग बन जाते हैं लेकिन यदि उसी समय एकादश स्थान में राहू बैठा हो वह नकारात्मक योग भी बनाता है जिससे बने बनाए रिश्ते भी बिगड़ जाते हैं और बनता हुआ काम अटक जाता है। अक्सर सुनने में आता है कि सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एन मंजिल के समीप पंहुच कर मामला लटक गया या कहें बात सिरे नहीं चढ़ी। इसका सीधा सा कारण है आपके विवाह के योगकारी ग्रहों पर पाप ग्रहों की दृष्टि। पंचम स्थान पर यदि अशुभ ग्रहों यानि कि शनि, राहू और केतू की दृष्टि पड़ती है तो यह विवाह में बाधक योग बना देती है।

विवाह नही होगा अगर….

👉सप्तमेश शुभ स्थान पर नही है।
👉सप्तमेश छ: आठ या बारहवें स्थान पर अस्त होकर बैठा है।
👉सप्तमेश नीच राशि में है।
👉सप्तमेश बारहवें भाव में है,और लग्नेश या राशिपति सप्तम में बैठा है।
👉चन्द्र शुक्र साथ हों,उनसे सप्तम में मंगल और शनि विराजमान हों।
👉शुक्र और मंगल दोनों सप्तम में हों।
👉शुक्र मंगल दोनो पंचम या नवें भाव में हों।
👉शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ हो और पंचम या नवें भाव में हो।
👉शुक्र बुध शनि तीनो ही नीच हों।
👉पंचम में चन्द्र हो,सातवें या बारहवें भाव में दो या दो से अधिक पापग्रह हों।
👉सूर्य स्पष्ट और सप्तम स्पष्ट बराबर का हो।

विवाह में देरी के कारण

सप्तम में बुध और शुक्र दोनो के होने पर विवाह के बातें चलते रहते है,विवाह आधी उम्र में होता है।
चौथा या लगन भाव मंगल (बाल्यावस्था) से युक्त हो,सप्तम में शनि हो तो कन्या की रुचि शादी में नही होती है।
सप्तम में शनि और गुरु शादी देर से करवाते हैं।
चन्द्रमा से सप्तम में गुरु शादी देर से करवाता है,यही बात चन्द्रमा की राशि कर्क से भी माना जाता है।
सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो,कोई शुभ ग्रह योगकारक नही हो,तो पुरुष विवाह में देरी होती है।
सूर्य मंगल बुध लगन या राशिपति को देखता हो,और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो आध्यात्मिकता अधिक होने से विवाह में देरी होती है।
लग्न में सप्तम में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक नही हों,परिवार भाव में चन्द्रमा कमजोर हो तो विवाह नही होता है,अगर हो भी जावे तो संतान नही होती है।
महिला की कुन्डली में सप्तमेश या सप्तम शनि से पीडित हो तो विवाह देर से होता है।
राहु की दशा में शादी हो,या राहु सप्तम को पीडित कर रहा हो,तो शादी होकर टूट जाती है,यह सब दिमागी भ्रम के कारण होता है।

विवाह का समय

सप्तम या सप्तम से सम्बन्ध रखने वाले ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा में विवाह होता है।
कन्या की कुन्डली में शुक्र से सप्तम और पुरुष की कुन्डली में गुरु से सप्तम की दशा में या अन्तर्दशा में विवाह होता है।
सप्तमेश की महादशा में पुरुष के प्रति शुक्र या चन्द्र की अन्तर्दशा में और स्त्री के प्रति गुरु या मंगल की अन्तर्दशा में विवाह होता है।
सप्तमेश जिस राशि में हो,उस राशि के स्वामी के त्रिकोण में गुरु के आने पर विवाह होता है।
गुरु गोचर से सप्तम में या लगन में या चन्द्र राशि में या चन्द्र राशि के सप्तम में आये तो विवाह होता है।
गुरु का गोचर जब सप्तमेश और लग्नेश की स्पष्ट राशि के जोड में आये तो विवाह होता है।
सप्तमेश जब गोचर से शुक्र की राशि में आये और गुरु से सम्बन्ध बना ले तो विवाह या शारीरिक सम्बन्ध बनता है।
सप्तमेश और गुरु का त्रिकोणात्मक सम्पर्क गोचर से शादी करवा देता है,या प्यार प्रेम चालू हो जाता है।
चन्द्रमा मन का कारक है,और वह जब बलवान होकर सप्तम भाव या सप्तमेश से सम्बन्ध रखता हो तो चौबीसवें साल तक विवाह करवा ही देता है।

कुंडली में विवाह योग बनाने के उपाय

लेख के उपरोक्त वर्णन में आपने विवाह के कारक ग्रहों की दशा और विवाह में बाधक ग्रहों की दशा के बारे में जाना। ऐसे में जातक के सामने यह सवाल उठ सकता है कि यदि उसकी कुंडली में ग्रहों की दशा अनुकूल नहीं है तो उसे क्या करना चाहिये..? इसके लिये जातक कुछ सामान्य उपाय कर सकते हैं। मसलन यदि देवताओं का गुरु ग्रह बृहस्पति की दशा आपकी कुंडली के अनुसार कमजोर चल रही है और आपके विवाह में अड़चने आ रही हैं तो आपको बृहस्पति को प्रसन्न करना चाहिये। इसके लिये हर गुरुवार इनकी पूजा करें और पीले रंग की वस्तुएं इन्हें अर्पित करें। गुरुवार के दिन पीले रंग के परिधान धारण करें तो बहुत अच्छा रहेगा। कमजोर ग्रहों को रत्न पहनने से भी काफी शक्ति मिलती है। बृहस्पति को शक्तिशाली करने के लिये आप पुखराज, जरकन या हीरे की अंगूठी पहन सकते हैं। भगवान शिव और मां पा
शक्ति की पूजा करना भी काफी लाभकारी होता है। अगर और भी बेहतर और त्वरित परिणाम चाहते हैं तो ज्योतिषाचार्य को अपनी जन्म कुंडली दिखाएं और विवाह में बाधक ग्रह या दोष का पता लगाकर उसका निवारण करें।
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भविष्यवक्ता
(पं.) डॉ. विश्वरँजन मिश्र, रायपुर
एम.ए.(ज्योतिष), बी.एड, पी.एच.डी.
मोबाईल :- 9806143000,
8103533330