लोकसभा में लंबी बहस के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक आखिरकार पारित हो गया। गृहमंत्री अमित शाह ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि बिल किसी भी तरह से संविधान विरोधी है। गृहमंत्री ने कहा कि बिल भेदभाव को खत्म करने की दिशा में एक कदम है और यह किसी भी तरह से मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है। संसद में एक बार फिर शाह को बेहद आक्रामक अंदाज में हिंदुत्व की पिच पर खेलते हुए देखा गया।
मुस्लिमों के साथ भेदभाव के आरोपों पर पलटवार
विपक्षी दलों के मुस्लिमों को बिल में अलग रखने और भेदभाव के आरोपों पर उन्होंने पलटवार किया। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का तर्क था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए उन देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दिया जा रहा है। इसमें खास तौर पर मुस्लिमों को अलग रखा गया है और यह भेदभाव है। अमित शाह ने इसका जवाब देते हुए कहा कि बिल में जरूरी वर्गीकरण किए गए हैं और वह पूरी तरह से संविधान के दायरे में है।
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गृहमंत्री अमित शाह ने पड़ोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को पीड़ित समुदाय बताते हुए कहा, ‘इन तीन देशों के अल्पसंख्यक वहां पीड़ित थे और इन्हें मजबूरी में शरण के लिए आना पड़ा। इनके पास रहने के लिए कोई घर नहीं था और आम नागरिकों को मिलनेवाली कोई सुविधा नहीं।’ गृहमंत्री ने आर्टिकल 14 के उल्लंघन के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ‘जो लोग कह रहे हैं कि बिल आर्टिकल 14 की मूल भावना के खिलाफ है, उन्होंने अपनी ही पार्टी के द्वारा पूर्व में किए कार्यों का ठीक से अध्ययन नहीं किया है। 1947 के बाद जो भी भारत आए उन्हें नागरिकता मिली, इसमें मनमोहन सिंह और लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल हैं।’
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संसद में हिंदुत्व के अजेंडे पर गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर आक्रामकता दिखाई। संघ परिवार के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर अमित शाह ने एक बार फिर आक्रामक छवि अपनाई। गृहमंत्री अमित शाह की छवि आम तौर पर विरोधियों पर वोट बैंक पॉलिटिक्स का आरोप लगाकर निर्मम प्रहार करने के साथ ही कई बार उन पर असंवेदनशील होने के भी आरोप लगते रहे हैं। इसे पहले जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म किए जाने के फैसले का ऐलान करते हुए भी संसद में अमित शाह बेहद सख्त और आक्रामक तेवर में नजर आए थे।
Source: National