इन सवालों पर NBT ने जब कुछ पूर्व दिग्गजों से बातचीत की तो उनका कहना था कि बोलर्स पर दोष मढ़ना गलत है। उनकी बोलिंग औसत रही तो उसकी और भी वजहें हैं। पूर्व दिग्गज मानते हैं कि सपाट पिच और कैच छूटने की वजह से गेंदबाजों का प्रदर्शन प्रभावित हुआ और इसी वजह से पिछला टी20 मैच भी हारे।
टी20 सीरीज में भारतीय बोलर्स का प्रदर्शन
- वॉशिंगटन सुंदर– 2 मैचों में 8.57 के इकॉनमी से 2 विकेट
- रविंद्र जडेजा- 2 मैचों में 8.66 के इकॉनमी से 2 विकेट
- युजवेंद्र चहल- 2 मैचों में 10.28 के इकॉनमी से 2 विकेट
- दीपक चाहर- 2 मैचों में 12.13 के इकॉनमी से 1 विकेट
खराब फील्डिंग का रोलभारत के लिए तीन वनडे मैच खेल चुके मुंबई के पूर्व ऑलराउंडर अभिषेक नायर ने भारतीय टीम की खराब फील्डिंग का हवाला देकर गेंदबाजों का बचाव किया। उन्होंने कहा कि फील्डर इतने आसान कैच टपका देंगे तो गेंदबाजों को विकेट कहां से मिलेंगे। मौजूदा टी20 सीरीज में भारतीय गेंदबाजों का प्रदर्शन ही नहीं बल्कि भारतीय फील्डरों की खराब फील्डिंग भी चिंता का विषय है। दोनों मैचों को मिलाकर भारतीय फील्डर्स 7 कैच टपका चुके हैं और वह भी ऐसी टीम के खिलाफ जो टी20 फॉर्मेट में वर्ल्ड चैंपियन है।
पिच से भी मदद नहींनायर ने कहा कि हैदराबाद और तिरुवनंतपुरम, दोनों ही जगह पिच पूरी तरह सपाट थी। सपाट पिच पर वैसे ही विकेट निकालना गेंदबाजों के लिए बेहद मुश्किल होता है। ऐसी पिचों पर गेंदबाज का अनुभव और विकेट निकालने की कला ही काम आती है। सीरीज के दोनों मैचों में हमारे गेंदबाजों ने अपना काम किया लेकिन उनकी मेहनत पर पानी फेरा फील्डरों ने। अगर कैच नहीं छोड़े गए होते तो कहानी कुछ और भी हो सकती थी। पिच सपाट होने की बात में नायर की बात में दम तो दिखता है क्योंकि पहले मैच में वेस्ट इंडीज ने भारत को जीत के लिए 208 का टारगेट दिया जो मेजबान टीम ने बेहद आसानी से हासिल किया। दूसरे टी20 में भारत द्वारा दिए गए 171 के टारगेट को भी हासिल करने में कैरेबियाई टीम को कोई खास दिक्कत पेश नहीं आई।
अनुभव की कमी आड़े आ रही1983 वर्ल्ड कप के फाइनल में यादगार गेंदबाजी करने वाले बलविंदर सिंह संधू ने एक अलग नजरिया पेश किया। उन्होंने कहा कि सपाट पिचें टी20 मैच में मिलना आम बात है। इन पिचों पर सही लाइन लेंथ से बोलिंग करना कोई भी गेंदबाज अनुभव से ही सीखता है। फिलहाल भारतीय टी20 टीम में मौजूदा गेंदबाजों में अनुभव की कमी साफ झलकती है। जसप्रीत बुमराह जैसा डेथ ओवर्स का स्पेशलिस्ट गेंदबाज इस टीम में न होना सबसे बड़ी समस्या है। यही वजह है कि वर्ल्ड कप को देखते हुए सिलेक्शन कमिटी कई तरह के प्रयोग कर रही है गेंदबाजी में। खराब फील्डिंग एक वजह हो सकती है प्रदर्शन अच्छा न रहने की लेकिन गेंदबाजों को मिल रहे मौकों का फायदा उठाना होगा।
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बुमराह जैसे बोलर की तलाशइस बारे में वर्ल्ड कप- 1983 विजेता टीम के सदस्य बलविंदर सिंह संधू कहते हैं- टी20 वर्ल्ड कप अगले साल है। सिलेक्शन कमिटी बेस्ट बोलिंग कॉम्बिनेशन खोजने की कोशिश कर रही है। संभवत: ऐसे बोलर की तलाश है जो डेथ ओवर्स में जसप्रीत बुमराह की तरह कमाल की गेंदबाजी कर सके। मौजूदा टीम में शामिल गेंदबाजों के लिए यह सुनहरा मौका है।
नंबर्स गेम:-6.37 की इकॉनमी मौजूदा भारत-वेस्ट इंडीज टी20 सीरीज में सबसे अच्छी है। यह मेहमान टीम के शेल्डन कॉटरेल के नाम है
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मुंबई में बड़ी चुनौतीवानखेड़े स्टेडियम की पिच भी कई हाई स्कोरिंग टी20 मैचों का गवाह रही है। इस स्टेडियम की बाउंड्रीज भी काफी छोटी हैं इसलिए यहां पर गेंदबाजों के लिए चौकों और छक्कों की बरसात को रोकना टेढ़ी खीर साबित होने वाला है। वानखेड़े में अब तक कुल 6 टी20 मैच हुए हैं। यहां पिछली बार 24 दिसंबर को टी20 इंटरनैशनल मैच भारत और श्रीलंका के बीच खेला गया था जो लो स्कोरिंग रहा था। इस मैच को छोड़ दे तो बाकी पांचों मैचों की दोनों पारियों में 170 प्लस का स्कोर बना है। यहां पहले बैटिंग करते हुए ऐवरेज स्कोर 187 है जबकि बाद में बैटिंग करते हुए ऐवरेज स्कोर 183 है। ऊपर से छोटी बाउंड्रीज जिससे गेंदबाजों का जरा-सा भी लाइन से भटकना, उनके लिए मुसीबत खड़ी कर देता है।
वानखेड़े में भारत का टी20 मैचों में प्रदर्शन
- 22 दिसंबर 2012 को इंग्लैड से 6 विकेट से हारे
- 31 मार्च 2016 को वेस्ट इंडीज से 7 विकेट से हारे
- 24 दिसंबर 2017 को श्रीलंका को 5 विकेट से हराया
Source: Sports