अयोध्या पर आए ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ फिर से सुनवाई होगी या नहीं इसपर कल (गुरुवार) फैसला होगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटिशन) दायर की गई है। अब गुरुवार को 5 जजों की बेंच यह तय करेगी की रिव्यू पिटिशन पर ओपन कोर्ट में सुनवाई होगी या नहीं। जजों की यह मीटिंग चेंबर में ही होगी। इस बात की जानकारी केस से जुड़े एक वकील ने दी है।
बता दें कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि की डिक्री ‘राम लला विराजमान’ के पक्ष में की थी और अयोध्या में ही एक प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिये उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का निर्देश केन्द्र सरकार को दिया था।
शीर्ष अदालत के इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए पहली याचिका दो दिसंबर को मूल वादकारियों में शामिल एम सिद्दीक के वारिस और यूपी जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने दायर की थी। इस याचिका में 14 बिन्दुओं पर पुनर्विचार का आग्रह करते हुए कहा गया है कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण का निर्देश देकर ही इस प्रकरण में ‘पूरा न्याय’ हो सकता है। इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए अब मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मोहम्मद उमर, मौलाना महफूजुर रहमान और मिसबाहुद्दीन ने दायर की हैं। ये सभी पहले मुकदमें में पक्षकार थे।
इसके बाद पुनर्विचार के लिए शीर्ष अदालत में चार नई याचिकाएं दायर की गईं। इन पुनर्विचार याचिकाओं को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन प्राप्त है। एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अधिवक्ता एम आर शमशाद के माध्यम से ये चार पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं। मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि मालिकाना हक के इस विवाद मे उनके समुदाय के साथ ‘घोर अन्याय’ हुआ है और न्यायालय को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।
Source: National