भारत और अमेरिका के बीच कुछ अहम मुद्दों पर बातचीत के लिए विदेश मंत्री इन दिनों यूएस दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाले अमेरिकी नेताओं के लिए कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने अमेरिकी सांसद से मुलाकात करने से इनकार कर दिया है। प्रमिला ने से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की आलोचना की थी।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि जो लोग जम्मू-कश्मीर की स्थिति समझने में सक्षम नहीं हैं उनसे बात करना चाहिए इसलिए हमने कई सांसदों समते प्रमिला जयपाल से भी न मिलने का फैसला किया है। मैं उन लोगों से मिलना चाहता हूं जो कि खुले मन से समस्याओं पर बात करना चाहते हैं। जो लोग पहले से ही अपनी राय बना चुके हैं, उनसे बात करने का कोई फायदा नहीं है।’
गौरतलब है कि जयपाल ने अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया था जिसमें जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने का विरोध किया गया था। प्रस्ताव में कहा गया था कि कश्मीर में सभी प्रतिबंधों को तुरंत हटा लिया जाना चाहिए। भारत सरकार का कहना है कि पाकिस्तान हमलों के फिराक में है और वह जम्मू-कश्मीर की शांति भंग करना चाहता है, इस लिहाज से अभी कुछ प्रतिबंध जरूरी हैं।
वॉशिंगटन पोस्ट में आई एक खबर में कहा गया है कि जयशंकर ने इस हफ्ते कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्यों के साथ अपनी मुलाकात एकाएक ही रद्द कर दी क्योंकि अमेरिकी सांसदों ने जयपाल को बैठक में शामिल नहीं करने की उनकी मांग खारिज कर दी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जयशंकर प्रतिनिधि सभा की विदेशी मामलों के अध्यक्ष एलियट एल एंजेल, समिति के शीर्ष रिपब्लिकन सदस्य माइकल मैककौल और अन्य अमेरिकी सांसदों से मिलने वाले थे जिनमें जयपाल भी शामिल थीं।
जयपाल ने कहा, दुखद है मीटिंग रद्द होना
प्रमिला जयपाल ने जयशंकर के इस फसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मीटिंग का कैंसल होना बहुत ही दुखद है।’ उन्होंने कहा कि भारत किसी की नहीं सुनना चाहता है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी जयशंकर के इस फैसले की आलोचना की औऱ कहा कि यह बीजेपी सरकार की राजनीतिक विफलता है।
पाक पर जयशंकर का निशाना
भारत और अमेरिका ने मिलकर कहा है कि पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को तत्काल सुनिश्चित करना चाहिए। दोनों देशों ने कहा कि पाकिस्तान मुंबई और पठानकोट हमलों समेत सीमापार से हुए आतंकी हमलों के दोषियों के खिलाफ मुकदमा शुरू करे।
भारत और अमेरिका के बीच 2+2 वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों देशों ने पाकिस्तान से अल कायदा, आईएसआईएस, लशकर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी समेत सभी आतंकवादी नेटवर्कों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने को कहा।
Source: International