रायपुर/ छजका के सुप्रीमो अजीत जोगी राजनांदगांव विधानसभा में चुनाव लड़ने की पूर्व घोषणा के पश्चात अपने निर्णय को पलटते हुए राजनांदगांव से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है जिस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि अजीत जोगी का ठीक चुनाव के समय यह निर्णय लेकर मुख्यमंत्री रमन सिंह का कर्ज उतार हैं और बसपा को तगड़ा झटका दिया है अजीत जोगी का अवसरवादी चेहरा फिर से उजागर हुआ है छत्तीसगढ़ की राजनीति में अजीत जोगी निम्न स्तर के निर्णय और बयानों से अप्रसांगिक हो चले हैं। तिवारी ने कहा कि अजीत जोगी की पूरी राजनीति अवसरवादी राजनीति पर आधारित है कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अर्जुन सिंह के कार्यकाल में कांग्रेस प्रवेश किया स्वयंभू राजनीतिक महत्वाकांक्षा से वर्तमान कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं से दूरियां बढ़ती रही और बसपा सुप्रीमो कांशीराम जी के साथ बसपा जाने की तैयारी कर रहे थे वरिष्ठ कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया और अरविंद नेताम को आगे करके यह खेल खेलना चाहते थे और जब राज्यसभा पहुंचे तो बसपा को खत्म करने की रणनीति बनाई और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने के पश्चात वर्ष 2001 के जनगणना में बसपा को बैकफुट में धकेलने का कार्य किया।वर्तमान हालात में बसपा ने राजनांदगांव विधानसभा पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कद को देखते हुए वर्तमान मुख्यमंत्री के सामने चुनाव लड़ने के फैसले पर अपने गठबंधन को आधार माना था और अब राजनांदगांव से चुनाव नहीं लड़ने के फैसले से बसपा को तगड़ा झटका लगा है।अजीत जोगी 65 वर्ष बाद राजनीति से सन्यास लेने की सीख देते रहे और कहा कि वे 65 वर्ष होने के बाद राजनीति से संन्यास ले लेंगे उस वायदे से भी मुकर गए क्योंकि तब उनका यह निर्णय अपने लिए नहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा पूर्व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित श्यामाचरण शुक्ल और शहीद विद्याचरण शुक्ल, अरविंद नेताम के लिए हुआ करता था।अंतागढ़ में लोकतंत्र की हत्या रमन सरकार के सहयोग और करोड़ों रुपया लेन-देन कर किया जिस का कर्ज राजनांदगांव से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर अजीत जोगी ने उतारा है, एक बार फिर से जोगी जी का राज्य में जातिवाद की राजनीति के नाम पर अवसरवादी, राज्य विरोधी चेहरा सामने आया है। वर्ष 2003 में जिस प्रकार दलबदलू विधायकों को क्षेत्र की जनता ने हराया था ठीक उसी प्रकार इस बार इनको भी हरायेगी।