सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर छत्तीसगढ़ में भी अमल शुरू दीपावली में पटाखे रात्रि 8 से 10 बजे तक फोड़े जाएंगे

रायपुर, राज्य सरकार के उपक्रम छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप दीपावली के दौरान यह सुनिश्चित किया जाए कि पटाखे रात्रि 8 बजे से 10 बजे के बीच फोड़े जाएं। इस सिलसिले में पर्यावरण संरक्षण मंडल ने आम जनता से भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करने और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए पटाखों का इस्तेमाल रात्रि 8 से 10 बजे तक ही करने की अपील की है। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने इस सिलसिले में जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों सहित विस्फोटक नियंत्रक कार्यालय को भी परिपत्र जारी किया है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण मंडल ने राज्य के सभी प्रमुख शहरों में दीपावली के सात दिन पहले और सात दिन बाद तक अन्य मानकों के साथ-साथ हवा में एल्युमिनियम, बेरियम और आयरन तत्वों की मॉनिटरिंग करने का भी निर्णय लिया है।

पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने कल 23 अक्टूबर को पारित आदेश में दीपावली और अन्य पर्वा के दौरान पटाखों का इस्तेमाल सिर्फ रात्रि 8 से 10 बजे तक और क्रिसमस तथा नये वर्ष के आगमन पर रात्रि 11.55 से 12.30 बजे तक पटाखा चलाने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सीरिज वाले पटाखों और लड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही सिर्फ ऐसे पटाखे फोड़ने की अनुमति दी गई जिनसे ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण न्यूनतम स्तर पर और निर्धारित मानकों के अनुरूप रहे। सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे ग्रीन और इम्प्रूव्ड पटाखे के निर्माण और बिक्री की अनुमति दी है, जिनसे उत्सर्जन और प्रदूषण कम हो और इन्हें लायसेंस प्राप्त व्यापारियों के द्वारा ही बेचा जाए। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप उन पटाखा निर्माताओं के लायसेंस भी निरस्त करने के निर्देश जारी किए हैं, जिनके द्वारा पटाखों में लिथियम, आर्सेनिक, एण्टीमनी लैड और मर्करी का इस्तेमाल किया जाता है। मंडल के अधिकारियों ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने संबंधित थाना प्रभारियों को भी यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि न्यायालय के पारित आदेश के अनुसार पटाखे निर्धारित समय-सीमा में ही फोड़े जाएं। इसका उल्लंघन होने की स्थिति में उन्हें व्यक्तिगत रूप से दोषी मानते हुए उन पर न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने सामुदायिक रूप से पटाखा फोड़ने को बढ़ावा देने पर बल दिया है और कहा है कि इसके लिए समय और स्थान निर्धारित कर जनता को जानकारी दी जाए।

अधिकारियों ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऑनलाइन पटाखा बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और सभी राज्य सरकारों को आदेश का पालन सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा विगत कुछ वर्षो से दीपावली के मौके पर पटाखों के नियंत्रित और संतुलित उपयोग के लिए जन जागरण अभियान भी चलाया जाता रहा है। इसके उत्साह जनक परिणाम मिले हैं। विगत 2 वर्षो में रायपुर और प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आयी है। सर्वोच्च न्यायालय के ताजा आदेश के परिपालन के लिए आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा 26 अक्टूबर को यहां बैठक भी आयोजित की जा रही है। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने इस सिलसिले में स्थानीय टेलीविजन चैनलों और एफ.एम रोडियो के माध्यम से जन-जागरण का कार्य भी शुरू कर दिया है।