दंतेवाड़ा अब दंतेवाड़ा और सरगुजा में भी माओवादी हमले की घटना : कांग्रेस

रायपुर, दंतेवाड़ा और सरगुजा में हुए माओवादी हमले की घटनाओं और एसआई, आरक्षक के साथ-साथ एक मीडियाकर्मी कैमरामैन की शहादत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री और कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। शहीद जवानों के परिजनों के साथ-साथ दूरदर्शन न्यूज़ के कैमरामैन अच्युतानंद साहू के परिवारजनों के साथ गहरी संवेदना व्यक्त की है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा छत्तीसगढ़ को माओवाद मुक्त कराने के दावों का खोखलापन, लगातार हो रहे माओवादी हमलों से उजागर हो गया है।

भाजपा नेताओं द्वारा माओवादी हमले को छुटपुट घटना बताएं जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि इस बार तो सुरक्षाबलों के साथ-साथ एक मीडिया के साथी की भी शहादत हुई। सुरक्षा बलों के साथ-साथ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के एक साथी की शहादत होना बेहद दुर्भाग्यजनक है और यह सीधे-सीधे चुनाव के संदर्भ में दहशत फैलाने वाली घटना है। अगर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि माओवाद समाप्त हो गया तो कहीं ना कहीं इन शहादतों के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी जिम्मेदार हैं।
भाजपा प्रवक्ता के इस बयान से स्पष्ट है कि भाजपा के लिये पत्रकारों की जान की कोई कीमत नहीं है। भाजपा बतायें कि पत्रकार साई रेडी, पत्रकार नेमीचंद जैन, पत्रकार सुशील पाठक की हत्यायें भी छिटपुट घटनायें थी। संतोष यादव, सोमारू नाग और प्रभात सिंह जैसे पत्रकारों के खिलाफ भाजपा सरकार ने फर्जी मुकदमें दर्ज किये। यह विधानसभा में प्रभात सिंह के मामले में भाजपा सरकार को स्वीकार भी करना पड़ा था। प्रभात सिंह के खिलाफ 20 रू. लेने जैसा मामला भाजपा की इस सरकार में दर्ज किया गया।
रमन सिंह सरकार द्वारा माओवादी मामलों का रवैया इसी बात से स्पष्ट हो जाता है कि वाईपी सिंह एएसपी नक्सल आपरेशन्स में पदस्थ है और पिछले चुनाव में इनने राजनांदगांव में डंडा चलाया था। इस बार भी इस अधिकारी का उपयोग मुख्यमंत्री रमन सिंह को फायदा पहुंचाने के लिये राजनांदगांव शहर में किया जा रहा है। रमन सिंह सरकार द्वारा चुनावों को प्रभावित करने के लिये वाईपी सिंह एएसपी एएसपी नामक अधिकारी का दुरूपयोग किया जा रहा है। मुख्यमंत्री रमन सिंह को फायदा पहुंचाने के लिये राजनांदगांव में किया जा रहा है, जबकि उसकी पदस्थापना नक्सल आपरेशन्स में है और राजनांदगांव शहर माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में नहीं है।