संसद द्वारा दो तिहाई बहुमत से पारित विषय राज्यों के लिये बाध्यकारी होता है : राज्यपाल टंडन

भोपाल, 31 जनवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का कहना है कि यदि संसद किसी विधेयक या किसी कानून में संशोधन विधेयक को दो तिहाई बहुमत से पारित करता है तो उसे मानना/लागू करना राज्यों के लिये बाध्यकारी होता है। हालांकि उन्हें इसका विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन विरोध संविधान की सीमा में रहते हुए करना चाहिए, लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए। टंडन ने शुक्रवार को यहां राजभवन में संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई भी विषय जो संसद में दो तिहाई बहुमत से पारित हो जाए चाहे वो संविधान में संशोधन हो या उसमें कोई स्पष्टीकरण हो, ऐसे में राज्य उसे स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं। उन्हें विरोध का अधिकार है लेकिन संविधान के अनुसार सबको अपनी मर्यादा में रहना चाहिए।’’ राज्यपाल टंडन राजभवन में प्रेस सेल की उद्घाटन के बाद सीएए के मुद्दे पर केरल सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव पर एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार भी इसका विरोध कर रही है, इसपर राज्यपाल ने कहा, ‘‘मैं यही कह रहा हूं कि सरकार के लिये संविधान में एक लक्ष्मण रेखा है उसको पार नहीं करना चाहिए।’’ कमलनाथ सरकार के श्रीलंका में सीता माता मंदिर के प्रस्तावित निर्माण, चित्रकूट में राम वन गमन पथ के निर्माण और हनुमान चालीसा जाप जैसे काम करने के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि ये प्रशंसनीय कार्य हैं और इनकी आलोचना कौन करेगा। लखनऊ पर एक किताब लिखने वाले राज्यपाल टंडन ने बताया कि वह एक संस्मरण पर भी काम कर रहे हैं जो जल्दी ही पूरा होगा।

Source: Madhyapradesh