भारत की कोशिशों के बावजूद ने खुद को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ब्लैकलिस्ट सूची में जाने से बचा लिया है। की मदद के चलते पाकिस्तान खुद को की ग्रे लिस्ट में बनाए रखने में सफल रहा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में बरकरार रखने का फैसला किया है। हालांकि एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को धन देना बंद नहीं करता है तो उसे कड़ी कार्रवाई का सामना करना होगा।
पेरिस में ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ (एफएटीएफ) के चल रहे पूर्ण सत्र में यह फैसला किया गया। ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर वह अपनी जमीन से आतंकवाद को मिल रही आर्थिक मदद में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाकर उन्हें दंडित नहीं करता तो उसे कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। पैरिस में शुक्रवार को ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ (एफएटीएफ) के चल रहे पूर्ण सत्र में छह दिन तक विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया गया।
इससे कुछ घंटे पहले चीन के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा गया था, ‘पाकिस्तान की सरकार ने आतंकवादी संगठनों को पहुंचाई जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाने में काफी प्रयास किए हैं, जिसे पेरिस में हुई बैठक में FATF के अधिकांश सदस्यों द्वारा मान्यता दी गई है। चीन और अन्य देश इस क्षेत्र में पाकिस्तान को सहायता देना जारी रखेंगे।’
चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से किया गया यह ट्वीट इस बात को पुष्ट करता है कि उसने FATF की बैठक में पाकिस्तान की मदद की है। इससे पहले चीन कई और मौकों पर पाकिस्तान का बैकअप करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को आतंकी घोषित कराने के लिए भारत कई बार कोशिशें कर चुका है, लेकिन चीन इसमें पाकिस्तान का साथ देता रहा है। पाकिस्तान को ‘टेररिस्तान’ स्थापित करने के लिए भारत संयुक्त राष्ट्र में कई सबूत पेश कर चुका है, लेकिन चीन हमेशा से उसका बचाव करता रहा है।
अब FATF की बैठक में चीन ने पाकिस्तान का बचाव किया है। जबकि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन करने वाला देश है। इस देश की सरकार आतंकियों की मददगार रही है।
पूर्ण सत्र में कहा गया कि पाकिस्तान ने लश्कर, जैश और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी समूहों को वित्तीय सहायता पर लगाम कसने के लिए दिये गये 27 कार्यों में से कुछ ही किये हैं। सूत्रों के अनुसार एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी कार्ययोजना त्वरित तरीके से जून तक पूरी करनी होगी। पाकिस्तान के ‘ग्रे सूची’ में ही बने रहने से उसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एडीबी और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करने में कठिनाई आएगी और इस तरह आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश के लिए समस्याएं और बढ़ जाएंगी।
मालूम हो कि एफएटीएफ ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकवादी संगठनों को पहुंचाई जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाने में विफल रहने के लिए पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में रखने का अक्टूबर में फैसला किया था। अगर अप्रैल तक पाकिस्तान को इसी सूची से नहीं निकाला जाता तो वह ईरान जैसी काली सूची वाले देशों में शामिल हो जाएगा, जिन पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं।
Source: International