११ दिसंबर का जनता को है बेसब्री से इंतज़ार

रायपुर। प्रदेशभर में यह चर्चा जोरों पर है कि मतदाताओं ने विकास के आधार पर वोटिंग की है अथवा परिवर्तन के नाम पर। अपने-अपने स्तर पर लोग गुणा-भाग लगा रहे हैं। मतगणना को 17 दिन का वक्त है। न केवल राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों अपितु आम लोगों के लिए यह 17 दिन भारी पड़ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब राजनीतिक दलों के साथ ही आमजनों को बेसब्री से चुनाव परिणाम का इंतजार है। हालांकि परिणाम आने में अभी 17 दिन का समय बाकी है। लेकिन यह 17 दिन प्रत्याशियों, राजनीतिक दलों के लिए 17 वर्ष के सामान कट रहे हैं। लोगों की चर्चा में परिवर्तन को लेकर जोरदार चर्चा है, लेकिन यह इस चर्चा की सच्चाई चुनाव परिणााम से ही तय होगा। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव दो चरणों में पूर्ण हो चुका है। प्रथम चरण में राज्य के बस्तर और नक्सल प्रभावित इलाकों के 18 विधानसभा क्षेत्रों में संपन्न कराया गया और इसके बाद दूसरे चरण में शेष 72 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान संपन्न हुआ। मतदान का प्रतिशत भी 76.35 प्रतिशत रहा तो पिछले इलेक्शन के आसपास ही है।
इधर, राजनीति के जानकारों की माने तो यदि राज्य में परिवर्तन की लहर होती तो मतदान का प्रतिशत अधिक होता, इस लिहाज से सत्तासीन भाजपा के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है। लेकिन राजनीतिक पंडितों के अनुसार यह आंकड़ा विपक्षी कांग्रेस के लिए भी शुभ संकेत हो सकता है, क्योंकि वर्ष 2013 में हुए मतदान में 77.40 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस लिहाज से एक प्रतिशत का कम मतदान कांग्रेस के लिए भी मंगलकारी हो सकता है। राजनीतिक पंडितों की माने तो बस्तर जैसे क्षेत्र को राजनीति में सत्ता की चाबी कहा जाता है। पिछले चुनाव में यहां की 12 विधानसभा सीटों में से 8 सीटें कांग्रेस के खाते में गई और महज 4 सीट भाजपा की झोली में आई। बस्तर के 8 सीटों में काबिज होने के बाद भी कांग्रेस सत्ता में नहीं आ सकी। इस लिहाज से वर्तमान में मतदान का प्रतिशत और इसके विश्लेषण से यह कहना गलत होगा कि मतदाताओं का रूझान क्या है? क्या जनता सत्तासीन भाजपा के विकास के दावों के साथ चलती है अथवा कांग्रेस के परिवर्तन की लहर में भाजपा के विकास के दावे बह जाएंगे? बहरहाल सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही है, इन दावों की सच्चाई आने वाले 11 दिसंबर को भी स्पष्ट हो जाएगी।