नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रमंडल के स्वास्थ्य मंत्रियों की 32 वीं बैठक में हिस्सा लिया। बैठक का विषय था- राष्ट्रमंडल द्वारा समन्वित रूप से कोविड-19 के लिए प्रतिक्रिया देना।
इस वैश्विक बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री दिया गया का वक्तव्य इस प्रकार है-
“प्रारंभ में, कोविड-19 के प्रति एक समन्वित राष्ट्रमंडल प्रतिक्रिया देने के रूप में, मैं कोविड-19 के कारण हुए जीवन के नुकसान के प्रति गहरी संवेदना और चिंता व्यक्त करना चाहता हूं, हम बहुमूल्य जीवन को बचाने के लिए कई फ्रंटलाइन स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ-साथ अन्य नागरिक निकायों के द्वारा दिए गए अद्भुत योगदानों को स्वीकार करते हैं।
भारत ने हमारे माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में, कोविड-19 के प्रबंधन को उच्चतम स्तर की राजनीतिक प्रतिबद्धता के साथ चलाया है, जिनके मार्गदर्शन में, कोविड-19 के लिए हमारी प्रतिक्रिया सक्रिय, पूर्व-निर्धारित और वर्गीकृत रही है।
भारत द्वारा सभी प्रकार के आवश्यक और सामयिक कदम उठाए गए हैं, जिनमें आगमन के स्थानों पर निगरानी, विदेशों से हमारे नागरिकों को निकाल कर स्वदेश लाना, रोग निगरानी नेटवर्क के माध्यम से सामुदायिक निगरानी करना, स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करना, स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, जोखिम संचार और सामुदायिक प्रबंधन सहित अन्य शामिल हैं।
इस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए, दुनिया में लागू किए गए सबसे बड़े लॉकडाउन में, हम इस रोग के भयावह विकास को कम करके और यह सुनिश्चित करके कि हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली रोग के विकास से निपटने में सक्षम है, लोगों के जीवन की रक्षा करने के लक्ष्य की प्राप्ति कर रहे हैं। साथ ही साथ, हम जीवन और आजीविका को बचाने के प्रति भी जागरूक हैं और इसलिए सभी आवश्यक सेवाओं को लॉकडाउन के दायरे से बाहर रखा गया है।
हमारे प्रधानमंत्री द्वारा 265 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई है जिसके माध्यम से आर्थिक सुधारों के साथ-साथ हमारी आबादी के कमजोर वर्गों को समर्थन प्रदान किया जा सके। हम उन क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रतिबंधों को धीरे-धीरे कम कर रहे हैं जहां पर हम इस रोग को नियंत्रित करने में कामयाब रहे हैं।
भविष्य की तैयारी, प्रतिक्रिया और लचीलापन के लिए विकासशील देशों में मुख्य क्षमताओं का निर्माण और सुदृढ़ीकरण बहुत आवश्यक है, विशेष रूप से सबसे कम विकसित देश के लिए।
भारत ऐसा पहला देश है जिसने कोविड-19 की चुनौती से निपटने के लिए समेकित वैश्विक कार्रवाई करने का आग्रह किया है। हमने मार्च के मध्य में, हमारे क्षेत्र में सार्क नेताओं की एक बैठक बुलाई जिसमें “साथ आने, अलग नहीं रहने, भ्रम नहीं सहयोग करने, घबराहट नहीं तैयारी करने” की आवश्यकताओं को रेखांकित किया गया था। ये वैसे तत्व हैं जिनके माध्यम से इस संकट के प्रति भारत की प्रतिक्रिया को दर्शाया जा सकता है।
भारत द्वारा लगभग 100 जरूरतमंद देशों को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन जैसी आवश्यक दवाएं प्रदान की गई हैं, जो संकट की इस घड़ी में एकजुटता और समर्थन का प्रदर्शन करती हैं।
महामारी के संचरण को नियंत्रित करने और इसकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए इसके कारणों पर काम करना और दवाओं और वैक्सीन की खोज करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
सभी, मौजूदा और नए दोनों, प्रासंगिक चिकित्सा उत्पादों और प्रौद्योगिकियों तक सार्वभौमिक रूप से और सस्ती पहुंच को सुविधाजनक बनाया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड-19 से निपटने के लिए इनकी उपलब्धता को उचित और न्यायसंगत बनाया जाना चाहिए।
भारतीय वैज्ञानिक वैक्सीन और दवाओं की खोज में लगे हुए हैं, साथ ही साथ वे भारत सरकार के सक्रिय सहयोग के द्वारा लागत प्रभावी नैदानिक किटों और विभिन्न जीवन रक्षक उपकरणों के विकास पर भी काम कर रहे हैं।
हमें कोविड-19 के बाद के युग में नए खतरों और चुनौतियों का सामना करने के लिए अभिनव उपायों का पता लगाने, पारस्परिक रूप से एक-दूसरे का समर्थन करने और अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की आवश्यकता है।”