रायपुर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में केबिनेट की बैठक आयोजित की गई। बैठक में बस्तर जिले के लोहांडी गुड़ा क्षेत्र में टाटा इस्पात संयंत्र के लिए लगभग एक दशक पहले किसानों की अधिग्रहित निजी भूमि उन्हें वापस करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया गया। केबिनेट की बैठक के बाद मंत्रीद्वय श्री रविन्द्र चैबे और श्री मोहम्मद अकबर ने इस फैसले की जानकारी दी। श्री चैबे ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने बताया कि दस गांवों के 1707 खातेदारों को उनकी लगभग 1784 हेक्टेयर निजी भूमि वापस करने का सैद्धांतिक निर्णय आज की बैठक में लिया गया है। मुख्य सचिव को इसके लिए एक माह के भीतर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सांसद राहुल गांधी ने लोहांडी गुड़ा क्षेत्र के किसानों से यह वादा किया था कि टाटा इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित उनकी भूमि उन्हें वापस की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए अधिकारियों को मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए थे। उनके निर्देश पर त्वरित अमल करते हुए आज 25 दिसम्बर को केबिनेट की बैठक में प्रस्ताव लाया गया।जिन गांवों के किसानों की भूमि वापस करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया गया है, उनमें तहसील लोहांडीगुड़ा के अंतर्गत ग्राम छिंदगांव, कुम्हली, धुरागांव, बेलियापाल, बडांजी, दाबपाल, बड़ेपरोदा, बेलर और सिरिसगुड़ा में तथा तहसील तोकापाल के अंतर्गत ग्राम टाकरागुड़ा शामिल हैं। टाटा इस्पात संयंत्र के लिए यह भूमि फरवरी 2008 और दिसम्बर 2008 में अधिग्रहित की गई थी, लेकिन संबंधित कंपनी द्वारा वहां उद्योग की स्थापना नहीं की गई। श्री चैबे ने बताया कि वर्ष 2016 में कंपनी ने तत्कालीन राज्य सरकार को पत्र लिखकर वहां उद्योग लगाने में अपनी असमर्थता जताई।