वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सेवा निर्यातकों से मुलाकात की

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नई दिल्ली : केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये एक बैठक की, जिसमें सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (एसईपीसी) के पदाधिकारी तथा विभन्न सेवा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे हितधारक शामिल हुए। हितधारकों ने बैठक के दौरान कोविड-19 महामारी, उसके बाद हुए लॉकडाउन तथा वर्तमान में जारी अनलॉकिंग से संबंधित कई सुझाव दिए तथा मांगे रखीं। सेवा क्षेत्र भारत के विदेश व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है- भारतीय रिजर्व बैंक का डाटा प्रदर्शित करता है कि अप्रैल, 2020 में सेवा निर्यात 1,25,409 करोड़ रुपये के बराबर के थे, जबकि आयात 70,907 करोड़ रुपये के बराबर के थे।

विभिन्न सुझावों के प्रत्युत्तर में श्री पीयूष गोयल ने कहा कि सेवा क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं लेकिन इसका पूरी तरह दोहन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र में जो सेगमेंट सबसे अधिक सफल रहा है, वह है आईटी तथा संबद्ध सेवाएं और यह अपनी खुद की क्षमताओं के कारण बढ़ी और इसे सरकार की सहायता की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ी, जिसमें कई बार नौकरशाही के तार तथा नियंत्रण भी आ जाते हैं। उन्होंने उद्योग जगत से प्रतिस्पर्धी लाभ विकसित करने, गुणवत्ता पर फोकस करने तथा नए गंतव्यों और नई सेवाओं की खोज करने की अपील की। मंत्री ने कहा कि सरकार की भी प्राथमिकताएं तथा सीमाएं हैं-यह केंद्रित नीतिगत अंतःक्षेप कर सकती है, सेक्टर/उद्योग को उसके नवजात चरण/स्टार्ट अप स्तर में मदद कर सकती है, उन्हें बढ़ने में सहायता कर सकती है, अनुचित प्रचलनों पर अंकुश लगा सकती है, लेकिन उन्हें हर वक्त सहायता उपलब्ध नहीं करा सकती। उन्होंने प्रतिभागियों से रचनात्मक और भविष्योन्मुखी सुझाव देने को कहा। उन्होंने कहा कि विदेश स्थित भारतीय मिशनों ने वहां भारतीय निर्यातों की खोज करने के लिए कारगर तरीके से काम करना आरंभ कर दिया है।

मंत्री ने सेवा क्षेत्र से कोविड संकट को एक अवसर के रूप में देखने को प्रेरित किया, न कि किसी चुनौती के रूप मेंदेखने को। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद दुनिया अलग हो जाएगी क्योंकि काम, शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य आदि के लिहाज से नए नियम स्थापित हो रहे हैं। कुछ सुझावों पर, मंत्री ने कहा कि सेक्टरों को पहले खुद ही सभी हितधारकों से बात करने के जरिये अपने पर सर्वसहमति का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसकी कोई वजह नहीं है कि जब हमारे पास विशाल तथा विविध प्रकार से कुशल श्रमबल है तो सेवा क्षेत्र में इतना अधिक आयात होना चाहिए। उन्होंने इस क्षेत्र से अपील की कि वे विभिन्न सेवाओं में भारतीयों की सहायता लें और वास्तव में अनुभव प्राप्त करने एवं क्षमता निर्माण के द्वारा उनके कौशलों के उन्नयन में सहायता करें।