वन अधिकार पत्र के लिए पहले अपात्र के बाद अब हुआ पात्र
रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर सभी निरस्त वन अधिकार पत्र के दावा आवेदनों की पुनः समीक्षा उपरांत कार्यवाही से कोरबा जिले के ग्राम गिद्धमुड़ी निवासी किसान श्री शीतल कुमार के वर्षों का संशय दूर हो गया है। चूंकि उसका पहले के निरस्त हुए वन अधिकार पत्र का दावा अब मंजूर हो गया है।
किसान श्री शीतल कुमार ने बताया कि गांव और जंगलों के बीच रहकर खुद की अपनी जमीन नहीं होने का दर्द झेलता आया था। लेकिन अब सुख-चौन की खेती कर पाऊंगा। वर्षों से जिस माटी को वह सींचता आया, फसल उगाया, अपना पसीना बहाया, उस माटी का छिन जाने का डर सदैव ही उसके जेहन में बना रहा। ग्रामीण श्री शीतल कुमार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उसने अपनी खेती की भूमि पर वन अधिकार के लिए दावा करते वक्त सोचा था कि अब वह भी जमीन का मालिक बन जाएगा। किसान श्री शीतल की पूरी उम्मीद टूट गई, जब आवेदन जमा करने के बाद भी अपात्र हो जाने से उसके पास कोई रास्ता ही नही बचा था। अब तो उसे लगने लगा था कि वह जिस जमीन पर खेती कर रहा है वह न जाने कब छिन जाए, क्योंकि उसके पास जमीन के दस्तावेज भी नही थे।
इस दौरान रूठे मन से खेती करते श्री शीतल के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर सभी निरस्त वन अधिकार पत्र के दावा आवेदनों कीे समीक्षा हुई। चूंकि श्री शीतल का आवेदन पहले भी निरस्त हुआ था। समीक्षा में नाम शामिल होने के साथ शीतल को सुकून तो मिला लेकिन पात्र होगा या फिर अपात्र यह सोचकर मन में संशय बना हुआ था। आखिरकार जांच में शीतल पात्र हो गया है। अब लगभग चार एकड़ भूमि का मालिकाना हक के लिए आवेदन पात्र होने से उसके माता-पिता और पत्नी, बच्चे सभी खुश है।