सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण पर कांग्रेस का बयान

रायपुर ,कांग्रेस पार्टी हमेशा ही आर्थिक तौर से गरीबों के आरक्षण व उत्थान की समर्थक व पक्षधर रही है। दलितों, आदिवासियों व पिछड़ों के संवैधानिक आरक्षण से कोई छेड़छाड़ ना हो तथा समाज के सभी गरीब लोग, वो चाहे किसी भी जाति या समुदाय से हों, उन्हें भी शिक्षा तथा रोजगार का मौका मिले, यह कांग्रेस पार्टी व कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी का मानना है और हम इस दिशा में उठाए जाने वाले हर कदम का समर्थन भी करेंगे, उसके पक्षधर भी रहेंगे। पर वास्तविकता ये भी है कि चार साल आठ महीने बीत जाने के बाद व संसद के सत्र के आखिरी दिन जब 2019 के चुनाव में सौ दिन से कम बचे हैं, तब ही मोदी सरकार को आर्थिक तौर पर देश के गरीबों की याद आई, ऐसा क्यों? यह अपने आप में कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और मोदी सरकार की नीयत पर प्रश्न खड़ा करता है।

यह भी सही है कि चार साल आठ महीने में प्रधानमंत्री मोदी जी ने लगातार देश के गरीबों, देश के किसानों, देश के दुकानदारों, देश के मध्यम वर्ग के लोगों, देश के छोटे-छोटे उद्यमियों पर कभी नोटबंदी और कभी गब्बर सिंह टैक्स से लगातार प्रहार किया है। अकेले नोटबंदी और गब्बर सिंह टैक्स यानि जीएसटी ने 2 करोड़ से अधिक रोजगार खा लिए और देश की अर्थव्यवस्था को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो गया।

यह भी सच है कि आज ना देश में ना रोजगार है, ना रोटी। बेरोजगारी की दर 7.3 प्रतिशत पर है, जो पिछले 23 महीने में सबसे ऊंचे पायदान पर है। अकेले 2018 में ही एक आंकलन के मुताबिक एक करोड़ दस लाख लोगों की नौकरियां चली गई। 2 करोड़ रोजगार हर साल देने का वायदा कर सत्ता में आए मोदी जी, जिन्हें चार साल आठ महीने में साढ़े नौ (9.5) करोड़ रोजगार दे देने चाहिए थे, वो नौ लाख रोजगार भी पैदा नहीं कर पाए। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने रोजगार और रोटी को लगातार छीना है। संसद में स्वयं सरकार ने माना है कि भारत सरकार में भी 24 लाख पद आज तक खाली हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने भरा नहीं है। इसलिए रोजगार में आरक्षण तो दीजिए, हम उसके पक्षधर हैं। पर युवा ये सवाल भी पूछता है कि रोजगार कब देंगे? हम गरीबों को मौके, आरक्षण व रोजगार देने के प्रति कटिबद्ध हैं, पर देश के युवा मोदी जी से मूलभूत सवाल पूछ रहे हैं कि रोजगार मिलेंगे कब? 10 करोड़ रोजगार दो करोड़ रोजगार प्रति वर्ष की दर से पैदा होंगे कब? 24 लाख भारत सरकार के खाली पद भरेंगे कब? 2018 में जाने वाली एक करोड़ दस लाख नौकरियां, उनकी भरपाई होगी कब? नोटबंदी और गब्बर सिंह टैक्स से गए 2 करोड़ रोजगार का नुकसान भरेंगे कब? बगैर नौकरियों के, नौकरियों में आरक्षण कहीं जुमला बनकर ना रह जाए, इस बात के लिए भी आगाह करना हम अपनी जिम्मेदारी मानते हैं। गरीबों के हक में उठाए गए हर कदम का हम समर्थन करेंगे, पर देश के युवाओं की ओर से ये सवाल अवश्य पूछेंगे, रोजगार में आरक्षण तो दीजिए, पर रोजगार कब देंगे, मूलभूत सवाल ये है?

एक निर्णय सामने आया है, गरीबों को आरक्षण देने का और मैं याद दिलाऊं, 2010-11 में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने आर्थिक तौर से गरीबों के लिए आयोग का गठन किया था। उसकी रिपोर्ट जो आई थी उसमें भी 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। उस रिपोर्ट के आधार पर जाते-जाते जब 100 दिन मोदी जी की सरकार के बचे हैं तो उन्होंने ये निर्णय लिया है। हालांकि देश के युवाओं को रोजगार के अभाव में उनकी मंशा पर शंका है, परंतु हम आज भी ये कहेंगे कि हम सकारात्मक तरीके से गरीबों के लिए मौके, आरक्षण, रोजगार और शिक्षा के पक्षधर हैं और हर ऐसे कदम का समर्थन करेंगे। उसके कानूनी और संवैधानिक पहलू की जांच करना सरकार की जिम्मेदारी है, ये जवाब सरकार को देना चाहिए।

एक निर्णय सामने होकर आया है, उसमें कोई मीन-मेख निकाल सकता है, हमने बड़े सीधे तौर से, स्पष्ट तौर, साफगोई से, ईमानदारी से कहा कि हमारा भाजपा से राजनीतिक विरोध हो सकता है, उनको हमसे व्यक्तिगत दुश्मनी हो सकती है, परंतु देश के गरीबों के उत्थान और प्रगति को लेकर हम अपने हर राजनीतिक विरोधी के भी साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं। ये कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी का और कांग्रेस पार्टी का अटूट निर्णय है। जब देश के गरीबों की मदद की बात आएगी, देश के उन गरीबों को जिनको मौका नहीं मिलता है, उनके लिए शिक्षा और रोजगार की बात आएगी, तो हम हमारे घोर से घोर विरोधी के साथ भी खड़े होकर गरीब के साथ खड़े होंगे। ये हमारा निर्णय है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ये मानना है कि आर्थिक तौर से जो गरीब लोग हैं, उनके बेटे और बेटियों को शिक्षा और रोजगार में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। ये मूलभूत प्रश्न है। आर्थिक तौर से गरीब व्यक्ति, उसकी जाति, धर्म, समुदाय, क्षेत्र कोई भी हो और वो देश के किसी भी हिस्से से आता हो, हमारा ये मानना है कि उसके बेटे और बेटी को भी मौका मिलना चाहिए और इसलिए बगैर आलोचना के, बगैर किसी मीन-मेख के हम हर उस कदम का समर्थन करेंगे, सहयोग करेंगे, क्योंकि हमारी ये कटिबद्धता है कि देश में जो आर्थिक तौर से गरीब हैं, उनको भी समाज के संसाधनों में हिस्सा मिले।

आर्थिक तौर से जो गरीब व्यक्ति है, उसके बेटे और बेटी को शिक्षा और रोजगार के अंदर अधिकार मिले, इसके बारे में हर कदम का हम सहयोग करेंगे। चार साल आठ महीने के बाद जब सरकार के सौ दिन बचे हैं, तब मोदी जी ये यकायक लेकर आए हैं। फिर भी हमारा ये मानना है कि नौकरियों में आरक्षण दीजिए, परंतु युवा ये भी पूछ रहे हैं कि नौकरियाँ कहाँ हैं? ये भी एक महत्वपूर्ण, मूलभूत जुड़ा हुआ प्रश्न है, जिसका जवाब प्रधानमंत्री जी को सादर अनुरोध है कि देना चाहिए।