नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज आईसीएमआर के मुख्यालय का दौरा किया और आईसीएमआर की ऐतिहासिक उपलब्धियों को दर्शाते हुए एक घटनाक्रम जारी किया। उन्होंने आईसीएमआर की मोबाइल स्ट्रोक यूनिट और एक कोविड वैक्सीन और क्लीनिकल रजिस्ट्री पोर्टल का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम की मेज़बानी आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने की। इस अवसर पर डॉ. आर हेमलता, निदेशक, आईसीएमआर-एनआईएन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।
डॉ. हर्षवर्धन ने भारत की प्रमुख अनुसंधान परिषद की 108 वर्ष की यात्रा को दर्शाते हुए आईसीएमआर के इतिहास के घटनाक्रम का अनावरण किया। 1911 में इसकी स्थापना की गयी थी और तब इसे भारतीय अनुसंधान निधि संघ (आईआरएफए) के नाम से जाना जाता था। घटनाक्रम में आईसीएमआर और उसके संस्थानों द्वारा बीमारियों पर नियंत्रण और मातृ तथा बाल स्वास्थ्य, एचआईवी, कैंसर और पोषण के क्षेत्र में अग्रणी कार्य करने की नीति और कार्यक्रम शामिल हैं।
आईसीएमआर की स्थापना के बाद से 108 वर्ष लम्बे इतिहास घटनाक्रम के जारी होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “आईसीएमआर ने हमेशा एक ओर जैव चिकित्सा अनुसंधान में वैज्ञानिक प्रगति की बढ़ती मांगों और स्वयं की आवश्यकता को पूरा करने का प्रयास किया है, तो दूसरी तरफ, देश की स्वास्थ्य समस्याओं का व्यावहारिक समाधान खोजा है।” उन्होंने कहा कि इस क्षण को इतिहास में याद किया जाएगा, जहां आईसीएमआर के गौरवशाली इतिहास को प्रगतिशील तरीके से प्रदर्शित किया गया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने नए प्रदर्शनी की शुरूआत करते हुए कहा, “आईसीएमआर देश में स्वास्थ्य अनुसंधान में हमेशा सबसे आगे रहा है और अब वैज्ञानिक दृढ़ता और नवाचार के माध्यम से अभूतपूर्व महामारी से निपटने में देश का नेतृत्व कर रहा है। इसने राष्ट्र के कल्याण के लिए बहुत योगदान दिया है। इस प्रदर्शनी से लोग चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में आईसीएमआर और देश के योगदान को जान कर गर्व महसूस करेंगे।”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मोबाइल स्ट्रोक यूनिट का भी शुभारंभ किया। उन्होंने कहा, “हृदय रोग और उच्च रक्तचाप के प्रति लोगों की अतिसंवेदनशीलता को देखना निराशाजनक है। समय पर उपचार से मृत्यु दर को कम किया जा सकता है और लोगों को विकलांगता से बचाया जा सकता है। असम में स्ट्रोक के बड़े बोझ और स्ट्रोक देखभाल सुविधाओं की अनुपस्थिति के मद्देनजर, यह पहल इस क्षेत्र में लोगों की जरूरतों को पूरा करने में एक लंबा सफर तय करेगी। टेली-परामर्श के माध्यम से मोबाइल यूनिट, लोगों को समय पर और उचित उपचार सुनिश्चित करता है।” उन्होंने हेल्थकेयर कर्मियों की भी सराहना की जो कोविड के कारण संसाधनों के सीमित होने पर भी निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं।
उन्होंने वैक्सीन पोर्टल और कोविड क्लिनिकल रजिस्ट्री पर पोर्टल भी लॉन्च किया। वैक्सीन विकास की स्थिति के बारे में विस्तृत और पारदर्शी जानकारी के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा, “पोर्टल वैक्सीन विकास से संबंधित उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है, इस क्षेत्र में स्थानीय स्तर और वैश्विक स्तर पर नियमित अंतराल पर प्रगति हुई है। आज, कोविड के समय में, टीका विकास को बहुत ही करीब से देखा जा रहा है। इस लिए, देश में वैक्सीन विकास की स्थिति को प्रदर्शित करना महत्वपूर्ण हो जाता है।”
कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई पर, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “भारत की लगातार बढ़ती स्वस्थ होने की दर और लगातार गिरती हुई मृत्यु दर ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की कोविड पर नियंत्रण की रणनीति सफल सिद्ध हुई है। कोविड नमूनों की जाँच के लिए एक प्रयोगशाला से लेकर 1800 से अधिक प्रयोगशालाओं तक, हम अपनी क्षमताओं को मजबूत करने में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। हमने अपनी जांच क्षमता को सफलतापूर्वक बढ़ाया है और एक दिन में 15 लाख नमूनों की जांच के लक्ष्य को छू लिया है।”
डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों से कोविड दिशा निर्देशों के अनुसार उचित व्यवहार का पालन करने का भी आग्रह किया। उन्होंने लोगों को सार्वजनिक रूप से मास्क / फेस कवर पहनने के सामाजिक वैक्सीन के बारे में याद दिलाया। उन्होंने कहा कि हाथों की स्वच्छता और श्वसन शिष्टाचार और शारीरिक दूरी या दो गज़ की दूरी को बनाए रख कर संक्रमण के प्रसार को रोक सकते हैं।