कमिष्नर नेे उमरिया में सामुदायिक आजीविका उत्पाद विक्रय केंद्र का किया शुभारंभ

शहडोल [मो.शब्बीर ब्यूरो चीफ]- प्रदेश सरकार की आत्म निर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना को साकार करने हेतु जिले में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में गठित स्व सहायता समूहों द्वारा स्थानीय संसाधनों एवं स्थानीय बाजार की उपलब्धता के आधार पर आर्थिक गतिविधियों से जुड़े उत्पादन का कार्य प्रारंभ कर दिया है। जिला प्रशासन द्वारा स्व सहायता समूहों के माध्यम से निर्मित वस्तुओं का विक्रय हेतु जिला पंचायत में सामुदायिक आजीविका उत्पाद केंद्र प्रारंभ किया गया है। शहडोल संभाग के आयुक्त श्री नरेश पाल ने आज फीता काटकर इस केंद्र का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव, सीईओ जिला पंचायत अंशुल गुप्ता, उपायुक्त राजस्व डी पी बर्मन, एसडीएम बांधवगढ अनुराग ंिसह, अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत जी एस तेकाम, लेखा अधिकारी अखिलेश पाण्डेय, जन अभियान परिषद जिला समन्वयक रवींद्र शुक्ला, आजीविका परियोजना की जिला परियोजना कामना त्रिपाठी, मधु शुक्ला, तृप्ती गर्ग, सहित स्व सहायता समूहों की महिलाएं उपस्थित थी।
आयुक्त शहडोल संभाग ने स्व सहायता समूह की महिलाओ द्वारा उत्पादित सामग्री साबुन निर्माण, सेनेटरी नेपकीन, मास्क, दरवाजे के पर्दे, डोरमेट, भगवान के पहने वाले कपडे, लडडू गोपाल के वस्त्र, जैविक उत्पाद, हल्दी, धनिया, कोदो, मक्का, अलसी आदि का अवलोकन किया। उन्होने स्व सहायता समूहों की महिलाओं से चर्चा कर उनके प्रशिक्षण , मार्केटिंग तथा बैंक लिंकेज आदि के ंसबंध में जानकारी प्राप्त की। आपने समूह की महिलाओ द्वारा शुरू की गई आर्थिक गतिविधियों पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा उन्हें उत्पादन और अधिक बढाने तथा उसके मार्केटिंग के भी प्रयास की समझाइश दी। जिला प्रबंधक एन आर एल एम कामना त्रिपाठी ने बताया इस सामुदायिक आजीविका उत्पाद केंद्र में जिले की 25 स्व सहायता समूहों द्वारा निर्मित वस्तुओं को विक्रय हेतु रखा गया। सामग्री की दरें भी बाजार दरों से कम है। कोई भी व्यक्ति यहां उपलब्ध सामग्री खरीद सकता है।
आयुक्त शहडोल संभाग ने आजीविका परियोजना के अधिकारियो को निर्देशित किया कि एक्सपर्ट प्रशिक्षको के माध्यम से महिलाओ को प्रशिक्षण दिलाए और स्व सहायता समूहों को गतिविधियो से जोडे । उत्पाद के विक्रय हेतु स्थानीय व्यापारियों से उनका लिंकेज कराएं । जैविक उत्पाद को प्रोत्साहन दें तथा कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के सेवा निवृत्त अधिकारियों के माध्यम से उसका प्रशिक्षण सुनिश्चित कराए।