पात्र, असहाय, गरीब और जरूरतमंद भटक रहे भाजपा कार्यालय
गावों में स्वेच्छानुदान फार्म भरवा कर ग्रामीणों को कर रहे भ्रमित
यह कैसी वोट बैंक की राजनीति, प्रशासन बना मूकदर्शक
इन्ट्रो- भाजपा चुनाव जीतने के लिए शायद निर्वाचन के नियम और कायदो को भूल चुकी है, यही हाल नियमो के पालनहार का दिखाई दे रहा है, आचार संहित के एक दिन पहले स्वेच्छानुदान की राशि अमीरो के खाते में लाखों रूपए भेज दिये और अब गरीबों से फार्म भरवाये जा रहे है, तांकि ग्रामीणों को भ्रम में रखकर वोट बैंक की राजनीति की जा सके, आचार संहित प्रभावशील होने व चुनाव के बाद खाते में पैसे पहुंचने की लालच देकर हजारो ग्रामीणों के फार्म भरवाकर रखा जा रहा है और प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ बैठा हुआ है।
अनूपपुर। विधानसभा उपचुनाव को लेकर जिस तरह की कार्यप्रणाली भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेकर मंत्री बिसाहूलाल ङ्क्षसह की दिखाई दे रही है, उससे शायद ही गरीबो, असहायो और जरूरतमंदो को कभी मदद मिलेगी, हालांकि इस स्वेच्छानुदान की राशि के बंटवारे प्रक्रिया में उनके एक गुटीय करीबियों का योगदान काफी तक दिखाई दे रहा है, चहेतो, एक ही परिवार में कई लोगो, लखपतियों के साथ भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी स्वयं अपने खाते स्वेच्छानुदान की राशि लेकर यह साबित कर दिये कि चुनाव में पार्टी एक कमाई का जरिया है, जरूरतमंदो की मदद, असहायो को सहारा बनने के बजाए अपने जुगाड की राजनीति करने वाले तथाकथित नेताओं की वजह से ही पार्टी की साख खराब होने के साथ नियम और कायदो की बलि चढ जाती है।
ये पदाधिकारी है गरीब और असहाय
स्वेच्छानुदान राशि के बंटवारे में शामिल भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों में कार्यालय प्रभारी कुंदन सिंह के खाते में 15 हजार, मंडल अध्यक्ष अनूपपुर शिवरतन वर्मा के खाते में 15 हजार वही युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष जीतेन्द्र सोनी के खाते में 20 हजार रूपए के साथ अन्य ऐसे कार्यकर्ता व पदाधिकारी है, जो अपात्र होने के बाद भी जिनके खाते में स्वेच्छा अनुदान की राशि जारी की गई है। इतना ही नही मंत्री बिसाहूलाल सिंह के करीब रहने वाने नेताओं ने अपने घर व रिश्तेदार के नाम पर स्वेच्छानुदान की राशि ले ली गई।
यह भी बता आई सामने
जिन अमीरो व अपात्रों के खाते में स्वेच्छानुदान की राशि दी गई है, उनमे से कुछ नाम ऐसे थे जो जुगाड के भरोसे उनके खाते में पैसे तो डलवा दिये, और अब कुछ पैसे वापस मांगे जा रहे है, उनके दस्तावेज लेकर कमीशन के आधार पर उनके खाते में राशि डलवा दी गई, अपना कमीशन वसूलने के लिए उनके चक्कर काट रहे है और कुछ ईमानदार लोगों से ले भी ली गई, चर्चा का विषय यह भी रहा कि भाजपा के पदाधिकारी खुद इस राशि में अपना जुगाड लगाकर अपने परिवार व चहेतो के खाते में डलवाये गये है।
708 के खाते में लाखो रूपए
जिन अमीरो को असहाय, गरीब और जरूरतमंद समझकर स्वेच्छानुदान की राशि दी गई है, उनमें से 30 हजार लेने में 6 लोग, 25 हजार लेने वाले 2 लोग, 22 हजार लेने वाले में 1 महिला, 22 हजार लेने वालो में 4 लोग, 17 हजार लेने वाले में 1 पुरूष, 15 हजार लेने वालों में 7 लोग, 10 हजार लेने वालों में 54 लोग शामिल है, इसी तरह 7 हजार, 5 हजार, 3 हजार एवं 2 हजार लेने वालों को मिलाकर 708 लोगो की लिस्ट बनाकर राशि जारी की गई है।
पात्रों को कर रहे भ्रमित
अपात्रों को लाखों रूपए स्वेच्छानुदान राशि बांटने के बाद पात्र ग्रामीणों को गांव-गांव जाकर राशि का फार्म यह कहकर भराये जा रहे कि चुनाव के बाद आपके खाते में यह राशि पहुंच जायेगी, वही सैकडों ग्रामीणों को आचार संहिता के दौरान भाजपा कार्यालय बुलाकर स्वेच्छानुदान की राशि देने के लिए फार्म भरवाये जा रहे है। इस तरह के वोट बैंक की राजनीति अनूपपुर विधानसभा में की जा रही है, एक ही दिन में अमीरो के खाते में भेज दी गई और अब ग्रामीणों को चक्कर कटवाने के लिए छोड दिया गया है।
सरकारी धन से चुनाव लड रही भाजपा: श्री पट्टा
बिछिया विधानसभा के कांगे्रस विधायक एवं अनूपपुर उपचुनाव में समन्वयक बनकर पहुंचे नारायण सिंह पट्टा ने भाजपा के मंत्री द्वारा जारी स्वेच्छानुदान राशि पर प्रहार करते हुए कहा कि भाजपा सरकारी धन का दुरूपयोग कर चुनाव लड रही है, गाईडलाईन से हट कर कार्य किये जा रहे है, लेकिन न तो प्रशासन देख रही है और न ही चुनाव आयोग द्वारा ध्यान दिया जा रहा है, अनेक विषयों पर शिकायत की गई, लेकिन ऐसे लग रहा है कि भाजपा को प्रयत्क्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सपोर्ट कर रहे है, म.प्र. में भाजपा की सरकार अलोकतांत्रिक तरीके से है, मंत्री स्वेच्छानुदान की राशि बंटवारे में चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए और इस लिस्ट को निरस्त करना चाहिए, गरीब, असहायो को छोड भाजपा पदाधिकारी खुद अपने खाते में लेकर चुनाव को सरकारी धन से प्रभावित करने की योजना बना रहे है और प्रशासन भी सत्ता के साये में काम कर रही है।
कटघरे में कलेक्टर की कार्यप्रणाली
स्वेच्छानुदान की राशि वितरण उपरांत जिले के कलेक्टर को अनुदान राशि के उपयोग होने का उपयोगिता प्र्रमाण पत्र प्राप्त कर स्वीकृत आदेश जारी करने वाले कलेक्टर को, अभिलेख के लिए आडिट के उद्देश्य हेतु भेजा जाता है, तथा एक प्रति जिले के अभिलेख में भी रखी जाती है, प्रत्येक हितग्राही/संस्था को स्वीकृत हुई/वितरण हुई राशि, उसकी जानकारी रजिस्टर में संधारित कराना उनका दायिव्त है, वहीं अनुदान प्राप्त करने वाले हितग्राही की जानकारी वेबसाइट में भी प्रदर्शित किया जाता है, इतना ही नही अनुदान देने के लिए व्यक्ति के मामले में अधिकतम राशि 5 हजार रूपए तथा संस्था को 10 हजार रूपए होती है, लेकिन चहेतो और धनढ्यो के खातों में यह राशि बांट दी गई और कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर के द्वारा पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है।
लखपति ले लिये अनुदान
स्वेच्छा अनुदान की राशि के बंदरबांट की लिस्ट देखा जाये तो 2 हजार, 3 हजार, 4 हजार, 5 हजार, 7 हजार, 10 हजार, 15 हजार, 17 हजार, 20 हजार, 22 हजार, 25 हजार से लेकर 30 हजार रूपए तक खाते में डाले गये है, उनमें से कुछ नामचीन नाम ऐसे है जो लाखों की गाडियों में चलते है, शोभा साहू, अलका मिश्रा, अनवारी बेगम, शिवम मिश्रा, सुनील मिश्रा, संध्या राय के खाते में 30-30 हजार रूपए तथा पंकज पटेल के खाते में 25 हजार रूपए, विनीता
गुप्ता के खातें में 22 हजार रूपए,
अरूण तिवारी, जीतेन्द्र पांडेय, युवा मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष जीतेन्द्र कुमार सोनी, अमित मैती, कीर्ति विश्वकर्मा के खाते में 20-20 हजार रूपए, सत्यप्रकाश के खाते में 17 हजार रूपए, संतोष ङ्क्षसह, जय नंदिनी तिवारी, कार्यालय प्रभारी कुंदन सिंह, भाजपा मंडल अध्यक्ष शिवरतन वर्मा, रिंकी पनिका, जैनब बेगम रामावतार द्विवेदी के खाते में 15-15 हजार रूपए वही अभय पांडेय, स्मृति पटेल, पार्वती पटेल के खाते में 10-10 हजार रूपए डाले गये है, ऐसे में 708 नाम है जिनके खाते में 1 हजार से लेकर 30 हजार तक डाले गये है
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इनकी भी रही भूमिका
सूत्रों की माने तो पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश द्विवेदी, मंत्री बिसाहूलाल सिंह के इन दिनो सबसे करीबी माने जाते है, उन्ही की योजना के अनुरूप बाजार से लेकर अनूपपुर बस्ती में सबसे ज्यादा अनुदान राशि दी गई है, नगरपालिका क्षेत्र में स्वेच्छानुदान राशि का उपयोग कर चुनाव को प्रभावित करने का कार्य किया जा रहा है, न तो प्रशासन इस पर ध्यान दे रहा है और नही निर्वाचन प्रणाली की सुरक्षा में बाहर से पहुंचे अधिकारी, अभी भी ग्रामीणों को भ्रम में डाल कर उनसे स्वेच्छानुदान का फार्म खुले रूप से गांव-गांव जाकर भराया जा रहा है।
चुनाव प्रभावित करने का प्लान
विधानसभा में गरीबों को दी जाने वाली विधायक
स्वेच्छानुदान निधि अपने चहेतों और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच बांटने का मामला सामने आया है। 708 हितग्राहियों को स्वेचछानुदान राशि बांटी है, सूची में ऐसे नाम बडी संख्या में हैं जो धनाढ्य वर्ग से हैं और उन्हें आर्थिक सहायता की जरूरत ही नहीं है। गरीब या जरूरतमंदों को आकस्मिक आर्थिक मदद के लिए विधायकों के पास स्वेच्छानुदान निधि होती है। विधायक इसका इस्तेमाल जरूरतमंदों के लिए कर सकते हैं, लेकिन ऐसा न करते हुए पूरी तरह से यह कार्य चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया है।