महिला आयोग ने दो दिन में सुने 55 मामले

  रायपुर, 22 अक्टूबर 2020/छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक ने आज दूसरे दिन महिला आयोग को प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई की। उन्होंने बताया कि महिला आयोग में महिला उत्पीड़न, कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, शारिरिक उत्पीड़न, टोनही प्रताड़ना, जैसे अनेक मामलों की सुनवाई करती है। उन्होंने बताया कि महिलाओं से संबंधित मामले में अगर कहीं न्याय की गुंजाइश नहीं होती हैं, वहां महिला आयोग महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में गंभीरता से कार्य करती है। दुर्ग जिले केे महिलाओं से संबंधित 55 मामले की सुनवाई की गई है। समझौते योग्य मामले को नस्तीबद्ध किया गया है। पक्षकारों की बयान के आधार पर आगे की कार्यवाही के लिए प्रकरण तैयार किया गया है।
महिला सरपंच पर अभद्र टिप्पणी करने वाले ने सार्वजनिक तौर पर मांगी माफी
महिला आयोग के समक्ष एक ग्राम पंचायत की महिला सरपंच पर सोशल मीडिया में आपत्ति जनक टिप्पणी करने का मामला आया था। मामले में अनावेदक पंच को सुनवाई के लिए तलब किया गया था। सुनवाई के दौरान पंच को बताया गया कि इस तरह से किसी महिला पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना अवैधानिक है। उन्होंने सुनवाई के दौरान अपनी गलती स्वीकार किया। महिला सरपंच ने कहा कि अगर वह सार्वजनिक तौर पर क्षमा मांगे तो अपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं कराएगी और उसे क्षमा कर देगी। कथित पंच ने आयोग के समक्ष वीडियो रिकाडिंग के साथ महिला सरपंच से अपनी गलती के लिए सार्वजनिक माफी मांगी। इस प्रकार इस मामले का निराकरण किया गया। 
बुजुर्ग माता-पिता के मकान पर कब्जा करने बहु-बेटा ने लगाया टोनही प्रताड़ना का झूठा आरोप
      सुनवाई के दौरान आज एक और मामला सामने आया। बीएसपी से सेवानिवृत एक बुजुर्ग ने अपने अर्जित धन राशि से वृंदावन नगर भिलाई में 25 लाख रूपए में मकान खरीदा था। दंपत्ती के बड़े बेटे ने 4 लाख रूपए की राशि मकान को खरीदने में लगाया था। दंपत्ति के बड़े बेटे और बहु जो कि खुद शासकीय सेवा में है। उन्होंने इस मकान पर कब्जा कर रखा है। दंपत्ति के अलावा उसका अविवाहित छोटा बेटा है। बुजुर्ग दंपत्ति द्वारा उसके बेटा बहु के द्वारा मकान पर कब्जा करने को लेकर आपत्ति करने पर उनके विरूद्ध टोनही प्रताड़ना का झूठा आरोप लगाया गया था। सुनवाई के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि बहु के द्वारा बुजुर्ग दंपत्ति पर लगाया गया आरोप निराधार है और आरोप झूठा है। 
       मामले की सुनवाई के दौरान यह समझौता हुआ कि बहू-बेटा द्वारा लगाए गए 4 लाख रूपए को अगर उनके माता-पिता लौटा देते हैं, तो वे मकान खाली कर देंगे। बुजुर्ग दंपत्ति ने उनका 4 लाख रूपया लौटाने का अभिमत्त दिया। इस प्रकार इस मामले में समझौता किया गया। मामले की सुनवाई के दौरान आयोग की अध्यक्ष ने बहु-बेटा को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि माता-पिता ने पूरी जिंदगी समर्पित भाव से पढ़ाया लिखाया और बड़ा किया। आज उसे यह दिन देखना पड़ रहा है, कि उन्हें अपने ही घर से बेदखल होना पड़ रहा है। यह समाज के लिए अशोभनीय विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों अच्छे जगह में नौकरी में होने के बाद भी बुजुर्ग माता पिता से ऐसा व्यवहार करना निंदनीय है। साथ ही जो झूठा आरोप लगाया गया है, वह भी भर्त्सना योग्य है।