युवा वैज्ञानिकों ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के यंग साइंटिस्ट कॉन्क्लेव में विचारों को साझा किया

नई दिल्ली : युवा वैज्ञानिकों ने कई विषयगत क्षेत्रों से संबंधित अपने अभिनव विचारों को पांच दिनों के संघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के यंग साइंटिस्ट कॉन्क्लेव में साझा किया। इन क्षेत्रों में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, टिकाऊ ऊर्जा एवं ऊर्जा भंडारण, जैव प्रौद्योगिकी एवं जैव अभियांत्रिकी, अनुसंधान एवं नवाचार के माध्यम से कोविड-19 एवं उभरते महामारी से निपटना, पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन शामिल हैं। इस कॉन्क्लेव का समापन हाल में ही हुआ।

22 युवा वैज्ञानिकों को उनके अभिनव अनुसंधान कार्यों और विचारों के लिए प्रमाण पत्र दिया गया। इसके आधार पर ये वैज्ञानिक एससीओ देशों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एससीओ सदस्य देशों के युवा वैज्ञानिकों से आह्वाहन किया कि वे विज्ञान का उपयोग आम आदमी की जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक उपकरण के रूप में करें, जो इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती है। इससे पहले डॉ. हर्षवर्धन ने इस कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया था। उन्होंने पहले एससीओ युवा वैज्ञानिक कॉन्क्लेव में कुशल वैज्ञानिकों को ‘नवाचार, पेटेंट, उत्पादन और समृद्धि’ के लिए प्रेरित किया, जिससे वे हमारे देश को तीव्र विकास की ले जा सकें

इस कॉन्क्लेव ने एससीओ युवा वैज्ञानिकों के बीच विचारों के मिलन को समक्ष किया है और सदस्य देशों के मध्य एक नेटवर्क की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। इसने भविष्य में सहयोग के लिए एससीओ सदस्य देशों के बीच एसटीआई संभावनाओं के साथ संयुक्त प्रस्तावों के अवसरों का अनुमान भी लगाया। इन क्षेत्रों में नेटवर्किंग और सहयोग के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया, जिसमें एससीओ देशों के बीच युवा वैज्ञानिकों का आदान-प्रदान भी शामिल है। इस कॉन्क्लेव की विशिष्टता इस बात में निहित है कि इसने ज्ञान और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए युवा मस्तिष्कों को एक साथ लाया। इसमें एससीओ राष्ट्रों की शानदार भागीदारी देखी गई।

कोविड-19 महामारी की वजह से इस कॉन्क्लेव को वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य युवा शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाना था। इसके अलावा युवाओं को अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से आम सामाजिक चुनौतियों को संबोधित करने के लिए अपने ज्ञान का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करना और युवाओं के पूरक कौशल और अनुसंधान कौशलता की प्रगति को मजबूत करना था। इस कॉन्क्लेव में एससीओ सदस्य देशों के करीब 200 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें इन देशों के नामित 67 युवा वैज्ञानिक और छात्र शामिल थे।

अतंरराष्ट्रीय सहयोग के सलाहकार और प्रमुख डॉ. एस के वार्ष्णेय ने इस बात की जानकारी दी कि बहु-विषयक अनुसंधान और विकास परियोजनाओं के सहयोग के लिए एससीओ एसआईटी फ्रेमवर्क कार्यक्रम का बहुपक्षीय प्रारूप अंतिम चरण में है। इसके अलावा उन्होंने एससीओ के सदस्य देशों को युवा वैज्ञानिकों के लिए फेलोशिप प्रोग्राम बनाने का भी सुझाव दिया, जिससे इन देशों के बीच छात्रों और नए शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान संभव होगा।