मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान: तृतीय चरण अब तक हुई 1.96 लाख लोगों के खून की जांच।

पहले सप्ताह में लगभग 17% जाँचें ।
15 दिसम्बर से 30 जनवरी 2021 तक चलेगा अभियान।

सुकमा 23 दिसम्बर। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तृतीय चरण के पहले 7 दिनों में संभाग के 1.96 लाख से ज्यादा लोगों के खून की जांच की गयी है, जिनमें 3,162 व्यक्ति मलेरिया पॉजिटिव पाए गए। अब तक पॉजिटिव मिले व्यक्तियों में 58 प्रतिशत बच्चे, 23 प्रतिशत महिलाएं और 19 प्रतिशत पुरुष है।

बीते सात दिनों में हुई जांच के दौरान कोंडागांव में सर्वाधिक 33% लक्षित जनसंख्या की जांच की गई, इसके अतिरिक्त बस्तर में 26%, सुकमा में 22%, कांकेर में 14%, दन्तेवाड़ा में 12%, बीजापुर व नारायणपुर में संयुक्त रूप से 9% जनसँख्या को कवर किया जा चुका है। जांच के दौरान मलेरिया पॉजिटिव पाए जाने वाले लोगों का तत्काल उपचार शुरू किया जा रहा है । पूर्ण इलाज सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता मलेरिया पॉजिटिव पाए गए लोगों को पहली खुराक अपने सामने ही खिला रहीं है व स्थानीय मितानिन पीड़ितों के फॉलो-अप खुराक सेवन की निगरानी भी कर रहीं हैं।

बस्तर संभाग के 11.62 लाख से अधिक व्यक्तियों की जांच की जाएगी जिनमें सर्वाधिक दन्तेवाड़ा के 3.02 लाख, बस्तर के 2.01 लाख, बीजापुर के 1.89 लाख, नारायणपुर के 1.36 लाख, सुकमा के 1.35 लाख, कांकेर के 1.15 लाख, कांकेर के 81,००० व्यक्ति शामिल होंगे।

   मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान तृतीय चरण 15 दिसम्बर से 30 जनवरी 2021 तक चलाया जाएगा। 

पहला चरण 15 जनवरी से 14 फरवरी 2020 तक तथा दूसरा चरण 11 जून से और 31 जुलाई 2020 तक चलाया गया था। इस अभियान का उद्देश्य मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों से मलेरिया परिजिवी नष्ट करना है। अभियान के दौरान घर-घर जाकर स्क्रीनिंग तथा प्रभावित लोगों का पूर्ण उपचार किया जा रहा है। अभियान के दौरान लोगों को मलेरिया के बारे में जानकारी दी जा रही है और मलेरिया से बचाव के तरीके भी बताये जा रहे हैं।

सीएमएचओ डॉ. सी बी प्रसाद बंसोड़ ने जिले वासियों से अपील करते हुए कहा: “घर-घर भ्रमण के दौरान आए स्वास्थ्यकर्मी से अपनी जांच कराएं, मलेरिया के मच्छर स्थिर जल में पनपते हैं इसलिये अपने घर या आसपास पानी जमा न होने दें। जमा हुआ पानी में जला हुआ मोबिल ऑयल अथवा मिट्टी का तेल अवश्य डालें , नालियों को साफ रखें। मलेरिया मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिये अपना सहयोग दें।“

मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। खून के जरिए शरीर में घुसते ही विषाणु यकृत (लीवर) तक पहुंच जाता है। लीवर में मलेरिया का विषाणु परिपक्व हो जाता है और बच्चे पैदा करने लगता है। विषाणुओं की संख्या बढऩे के साथ ही शरीर बीमार होने लगता है। शुरुआत में रोगी को शरीर में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, उल्टी या गले में सूखे कफ की शिकायत होती है। ऐसा होने पर अगर खून की जांच कराई जाए तो मलेरिया का पता आसानी से चल जाता है। लापरवाही की जाए या समय से इलाज न किया जाए तो रोगी की हालत गंभीर भी हो सकती है ।